नई दिल्लीः प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) से 83 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस एमके-1ए विमानों की खरीद को मंजूरी मिलने को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों और एयरोस्पेस उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। डीआरडीओ ने कहा कि तेजस कार्यक्रम ने लड़ाकू विमान के डिजाइन, विकास और उत्पादन के संबंध में भारत को सबसे समकालीन तकनीकों में ‘आत्मनिर्भर’ बना दिया है। स्वदेशी एलसीए तेजस भारतीय वायुसेना को एक बढ़त देगा।
डीआरडीओ ने एक बयान में कहा कि एलसीए तेजस एक मल्टी-रोल फाइटर है जिसमें एडवांस्ड एवियोनिक्स, ग्लास कॉकपिट, डिजिटल क्वाड्रुप्लेक्स फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम और कंपोजिट संरचनाओं का बड़ा प्रतिशत है। यह 4+ जनरेशन फाइटर के स्वदेशी डिजाइन, विकास और उत्पादन की सफलता है। तेजस कार्यक्रम की सफलता लीड डिजाइन एजेंसी, मुख्य उत्पादन एजेंसी के रूप में एचएएल, डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाओं, वायुसेना, राष्ट्रीय उड़ान परीक्षण केंद्र (एनएफटीसी), सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थनेस एंड सर्टिफिकेशन (सीईएमआईएलएसी), वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीएक्यूए), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), आईआईटी, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सिलचर, भारतीय विज्ञान संस्थान आदि जैसे प्रख्यात राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के रूप में वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) का सहयोगी प्रयास है।
हल्के लड़ाकू विमान एमके-1ए स्वदेश में डिजाइन, विकसित और निर्मित अत्याधुनिक आधुनिक 4+ पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं। यह विमान इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किए गए सक्रिय एरे (एईएसए) रडार, बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) स्वीट और एयर टू एयर रिफ्यूलिंग (एएआर) की महत्वपूर्ण परिचालन क्षमताओं से लैस है, जो भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक शक्तिशाली प्लेटफॉर्म होगा। यह 50 प्रतिशत की स्वदेशी सामग्री के साथ लड़ाकू विमानों की श्रेणी की पहली खरीद (भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित) है जो कार्यक्रम के अंत तक धीरे-धीरे 60 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
मंत्रिमंडल ने परियोजना के तहत आईएएफ द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास को भी मंजूरी दे दी है ताकि वे अपने बेस डिपो में मरम्मत या सर्विसिंग को सक्षम बना सकें ताकि मिशन क्रिटिकल सिस्टम के लिए विमान में माल लादने और उतारने का समय कम हो जाए और परिचालन उपयोग के लिए विमान की उपलब्धता बढ़े। यह आईएएफ को संबंधित अड्डों पर मरम्मत के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के कारण बेड़े को अधिक कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से बनाए रखने में सक्षम करेगा।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत लगातार रक्षा क्षेत्र में उन्नत अत्याधुनिक तकनीकों और प्रणालियों के डिजाइन, विकास और निर्माण स्वदेशी रूप से करने की अपनी शक्ति में वृद्धि कर रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा हल्के लड़ाकू विमान के निर्माण से आत्मनिर्भर भारत पहल को और अधिक बढ़ावा मिलेगा और देश में रक्षा उत्पादन और रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इस खरीद में एचएएल के साथ डिजाइन और विनिर्माण क्षेत्रों में एमएसएमई सहित लगभग 500 भारतीय कंपनियां काम करेंगी। यह कार्यक्रम भारतीय एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को एक जीवंत आत्मनिर्भर इकोसिस्टम में बदलने के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा।