शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने One Nation One Election को भारत के लिए ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि इस निर्णय से देश में विकास और जनकल्याण के कार्यों को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार का केंद्रीकृत एजेंडा अब जनहित और विकास होगा तथा चुनावों में लगने वाला समय और ऊर्जा विकास कार्यों में लगेगी।
One Nation One Election के लिए मिले थे सुझाव
12 दिसंबर, 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक के 11 प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। इससे पहले सितंबर 2024 में सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था। इस समिति ने चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ कराने के लिए 11 सुझाव दिए थे।
विकास कार्यों में होती है देरी
जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि देश के लोकतांत्रिक हितों को सशक्त बनाने के लिए ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की नीति समय की मांग थी और यह कार्य नरेंद्र मोदी सरकार ने पूरा किया है। इससे जनकल्याण के कार्य सुगम होंगे और विकास को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि 1952 से 2023 तक देश में हर साल औसतन छह चुनाव हुए और अगर स्थानीय चुनावों को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा कई गुना बढ़ जाता है। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू होने से आचार संहिता के कारण विकास कार्यों में देरी नहीं होगी और चुनाव खर्च कम होगा, जिसे अब विकास कार्यों में लगाया जा सकेगा।
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नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि यह कोई नई परंपरा नहीं है क्योंकि 1951-52 में भी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे और यह परंपरा 1967 तक जारी रही। इसके बाद दलबदल और अन्य कारणों से चुनावों का चक्र टूट गया। वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही होते हैं।
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