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जम्मू-कश्मीर में मनाया गया मजदूर दिवस, नई पेंशन नीति को लेकर की ये बात

श्रीनगर। कामकाजी लोगों के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (labour day) के उपलक्ष पर जम्मू-कश्मीर यूनाइटेड स्कूल टीचर एसोसिएशन ने कठुआ में एक विशेष बैठक का आयोजन किया। जिसकी अध्यक्षता उस्ता के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ शशि पाल सिंह ने की। इस बैठक को कई संगठनों ने समर्थन दिया तथा मजदूरों को उनकी उपलब्धियों तथा योगदान के लिए याद किया गया। गौरतलब हो कि 1 मई 1986 को मजदूरों से केवल 8 घंटे काम करवाने पर मोहर लगी थी, जबकि इसके पहले 15 घंटे काम लिया जाता था। इसलिए हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (labour day) के रूप में मनाया जाता है।

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इस बैठक को संबोधित करते हुए प्रांतीय अध्यक्ष डॉ शशि पाल ने शोषण से बचने के लिए संगठनों को मजबूत करने पर बल दिया तथा संघर्ष को बढ़ाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की शिक्षा व्यवस्था बड़े चिंताजनक दौर से गुजर रही है, जिसमें शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हुए हैं। उन्होंने शिक्षकों की सेवाओं में सुधार हेतु शिक्षकों का इस्तेमाल गैर शैक्षणिक कार्यों में ना करने पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षकों की बेहतर सेवाओं के लिए नियमित रूप से पदोंन्नतियां करने पर बल दिया तथा सरकारी स्कूलों में सुविधाओं को सुधारने पर भी चर्चा की।

डॉ शशि पाल ने जम्मू कश्मीर के हजारों डॉक्टरों, प्रोफेसर, आंगनवाड़ी वर्कर, बिजली तथा पानी विभाग के दिहाड़ीदार कर्मियों की सेवाओं को नियमित करने ना करने को, इसे आधुनिक युग का गंभीर शोषण बताया और कहा कि उस्ता इसके लिए आखिरी दम तक लड़ेगी और इस भर्ती नीति का विरोध करती रहेगी। उन्होंने नई पेंशन नीति के अंतर्गत कर्मचारियों तथा शिक्षकों के वेतन से पेंशन के लिए पैसा काटने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि सरकार अपनी सामाजिक सुरक्षा की जिम्मेवारी से हट रही है। इस बैठक में उपस्थित शिक्षकों में रतन सिंह, सोमदत्त, प्रभात सिंह, सुभाष चंद्र शर्मा, यशपाल, मोहम्मद मुर्मू, हंसराज शास्त्री, अंजली शर्मा सहित अन्य उपस्थित रहे।

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