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कुम्भ दलितों का है महापर्व, उदित राज ग्राम प्रधान का चुनाव भी नहीं जीत पाते: डॉ. निर्मल

लखनऊ:  कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद उदित राज ने महाकुम्भ की आलोचना कर देश के दलितों की आस्था का भी अपमान किया है। कुम्भ को लेकर दलितों की सदैव आस्था रही है और महाकुम्भ में दलितों की सबसे बड़ी भागीदारी भी रहती है। श्री उदित राज का यह बयान कांग्रेस की नीतियों का द्योतक है कि वह हिन्दू धर्म और उसकी संस्कृति के बारे में कितनी अप-सोच रखती है। ये बातें शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के चेयरमैन डाॅ. लालजी प्रसाद निर्मल ने कही।

उन्होंने कहा कि महाकुम्भ ऐतिहासिक रहा है। महाकुम्भ में जहां अखाड़ा परिषद की ओर से दलित संत को महामण्डलेश्वर की उपाधि दी गयी। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दलित सफाई कर्मियों के पैर धोकर देश के सभी दलितों को सम्मान देने का काम किया गया। उदित राज ने अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में दलितों के मुद्दों पर अपना मुंह तक नहीं खोला। प्रधानमंत्री ने बाबा साहेब डाॅ. आम्बेडकर को वैश्विक सम्मान दिलवाया। लंदन स्थिति डाॅ. आंबेडकर का आवास नीलाम होने से बचाकर उसे स्मारक के रूप में विकसित किया। डाॅ. आंबेडकर से जुड़े पंच तीर्थों यथा जन्मस्थल महू, शिक्षा स्थल 10 किंग्स हेनरी रोड लंदन, दीक्षा स्थल नागपुर, निर्वाण स्थल 26 अलीपुर रोड दिल्ली और चैत्यभूमि मुंबई को भव्य स्मारकों का स्वरूप दिया।

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इसी प्रकार उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बाबा साहब डाॅ. आंबेडकर की फोटो को प्रदेश के सभी कार्यालयों में लगवाई और प्रदेश में दलित उत्पीड़न पर दोषियों के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की। इतना ही नहीं बल्कि पहली बार दलितों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए योजनाएं चलाकर उन्हें रोजगार से जोड़ने का कार्य किया।

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डाॅ. निर्मल ने कहा कि उदित राज टिकट के लिए राजनीति करते हैं। वह टिकट के लिए भारतीय जनता पार्टी में आये थे, टिकट न मिलने पर कांग्रेस में चले गये फिर जब कांग्रेस टिकट नहीं देगी तब वह किसी ओवैसी की पार्टी में चले जायेंगे। उदित राज को आत्मचिंतन करना चाहिए कि उन्होंने अपने पूरे कार्य अवधि में दलितों के लिए क्या कोई एक भी कार्य किया है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि उदित राज ग्राम प्रधान का चुनाव भी नहीं जीत सकते। अगर भारतीय जनता पार्टी ने टिकट न दिया होता तो वह कभी लोकसभा नहीं पहुंच पाते।