Sunday, January 19, 2025
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Indian Army Missing Soldier: 5 दिनों से लापता सेना का जवान इस हाल में मिला

Kulgam-army jawan-Kidnapping

Indian Army Missing Soldier: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम से लापता हुए भारतीय सेना के जवान जावेद अहमद वानी को कुलगाम पुलिस ने ढूंढ निकाला। जावेद अहमद वानी पांच दिन से लापता थे। फिलहाल जावेद को अनंतनाग के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एडीजीपी कश्मीर ने एक ट्वीट में जानकारी देते हुए बताया कि लापता सेना के जवान को कुलगाम पुलिस ने बरामद कर लिया है। मेडिकल चेकअप के बाद जल्द ही संयुक्त पूछताछ शुरू होगी। उन्होंने कहा कि आगे की जानकारी इसके बाद सांझा की जाएगी।

गौरतलब है कि लद्दाख क्षेत्र में तैनात जवान को रविवार को ड्यूटी ज्वाइन करनी थी लेकिन वह शनिवार शाम को लापता हो गया। उनकी कार परानहॉल में लावारिस हालत में मिली थी। वानी के पिता ने कहा था कि उनका बेटा शनिवार शाम को मांस खरीदने के लिए बाहर गया था क्योंकि उसे रविवार को अपनी पोस्टिंग की जगह पर लौटना था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया। पुलिस ने एक दर्जन लोगों से पूछताछ की और सेना के जवान की कॉल डिटेल खंगाली। जिसके बाद जवान को कुलगाम पुलिस ने ढूंढ लिया।

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2013 में वानी ज्वाइन की थी इंडियन आर्मी

कुलगाम के अस्थल गांव के रहने वाले 28 वर्षीय जावेद अहमद वानी अपने गांव के छह अन्य लड़कों के साथ 2013 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे। उन्होंने शारीरिक और लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की और 2014 में उन्हें जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री (JAKLI) रेजिमेंट की तीसरी बटालियन में नियुक्त किया गया। एक जवान के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, जावेद ने राष्ट्रीय राइफल्स की 9वीं बटालियन में अपनी सेवा दी जो एक विशिष्ट संस्था है। जो एक विशिष्ट उग्रवाद विरोधी इकाई है। वह अपने पैतृक कुलगाम जिले में तैनात थे और कुलगाम के चावलगाम में स्थित एक सेना प्रतिष्ठान में कार्यरत थे।

हमेशा करता है लोगों की मदद

स्थानीय ग्रामीणों की माने तो जावेद वानी बचपन से ही मददगार स्वभाव का व्यक्ति रहा है। वह गरीब लोगों की मदद करने में हमेशा आगे रहते हैं और अपने अपहरण से ठीक दो दिन पहले उन्होंने पास के एक गांव में एक मरीज को रक्तदान किया था। 2014 की बाढ़ के दौरान, उन्होंने अपने गांव के अन्य युवाओं के साथ बाढ़ में फंसे लोगों की मदद के लिए अथक प्रयास किया। ग्रामीणों की माने तो उनका कोई दुश्मन नहीं था और न ही उन्हें उग्रवादियों से कभी खतरा था।

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