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कृषि कुंभ से खुलेंगी उत्पादन की नई राहें

  लखनऊः यूपी का कृषि विभाग इन दिनों कृषि कुंभ की तैयारियों में व्यस्त है। वह जिलों में उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों के उत्साहवर्धन के लिए खास विकल्प तलाश रहा है। कृषि कुंभ 2018 में आयोजित किया गया था। अब यह 2023 के विदाई माह यानी दिसंबर में आयोजित प्रस्तावित है। इस बार के कृषि कुंभ को द्वितीय संस्करण माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इसमें अन्तर्राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी एवं सम्मेलन को प्रमुखता दी जाएगी।

गन्ना संस्थान में की जा रही तैयारी

कृषि विभाग का दावा है कि कृषि कुंभ को बीते सालों की अपेक्षा इस बार अधिक भव्य और दिव्य बनाया जायेगा। यदि यह काम सरलता हो पूरा कर लिया जाता है तो प्रदेश के किसानों को तकनीकी रूप से आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। कृषि कुंभ के लिए गन्ना संस्थान में तैयारी की जा रही है। इस आयोजन में किसानों को अनुसंधान के प्रतिफल दिखाए जाएंगे। इससे खेत और खलिहान की उपयोगिता को सामने लाने में भी आसानी होगी।

मेला बनेगा मददगार

किसानों को प्रैक्टिकल रूप से दिखाया जाएगा कि तकनीकी सरलता से समृद्धशाली बनने में अड़चन नहीं आती है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही इन दिनों मेले के आयोजन को लेकर काफी उत्साहित हैं। उनका कहना है कि मोटा अनाज का अधिक उत्पादन करने में भी मेला मददगार बनेगा। सबसे अच्छी बात यह है कि कृषि कुंभ में दो लाख प्रगतिशील किसानों की प्रतिभागिता की उम्मीद है। विभिन्न सामयिक विषयों पर 19 तकनीकी सत्रों के जरिए तमाम शोधों को यहां शामिल किया जाएगा। इससे किसानों को नई-नई जानकारियां मेले में मिलेंगी। इनमें राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की कृषि एवं संवर्गीय सेक्टर की 500 कंपनियों एवं संस्थाओं द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। यह भी पढ़ेंः-कियारा, राशि से लेकर सामंथा तक ये 5 अभिनेत्रियां जो सिनेमा बना रहीं अपना दबदबा कार्यक्रम के आयोजन के लिए चयनित इवेन्ट मैनेजमेन्ट कंपनी के माध्यम से प्रतिभागी कंपनियों को स्टाल ब्रिकी के माध्यम से राजस्व प्राप्ति का अनुबन्ध भी होगा। इस कार्यक्रम में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग भी मिलने जा रहा है। जो देश नवाचारी के माध्यम से संपर्क में हैं, उनमें जापान, पोलैण्ड, पेरू, जर्मनी, यूएसए, फिलीपीन्स, साउथ कोरिया, इन्डोनेशिया आदि हैं। कार्यक्रमों में श्रीअन्न पाककला प्रतियोगिता भी कराई जाएगी। प्राकृतिक खेती, श्रीअन्न, एफपीओ आधारित व्यवसाय, डिजिटल एग्रीकल्चर, एग्री स्टार्टअप आदि विषयों पर कार्यशालाएं कराई जाएंगी। वैज्ञानिकों की मौजूदगी में किसानों को उत्पादक से उद्यमी बनाने तथा भविष्य की जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के विकल्प तलाशे जाएंगे। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की अध्यक्षता में करीब 12 समितियां गठित की गयी हैं। इन्टीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम, उद्यान एवं बागवानी, मत्स्य पालन, रेशम, भूमि संरक्षण भी कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)