पूरी तरह से भारतीय है Koo, कंपनी के सह-संस्थापक ने किए कई खुलासे

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Homegrown, vernacular microblogging platform Koo, which has emerged as a favourite among a section of users who want to quit Twitter, has found itself in the midst of several controversies including a data leak row and Chinese investment.

नई दिल्लीः भारत के बहुभाषी माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू की हाल में डेटा प्राइवेसी को लेकर आलोचना की गई थी और साथ में यह भी बात सामने आई थी कि इनके निर्माताओं में चीनी निवेशक भी शामिल हैं। ऐसे में लोगों के सामने इसे बेहतर तरीके से पेश करने का इनका प्रयास जारी है।

कू के सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण ने एक साक्षात्कार में कहा कि एक फाउंडर के तौर पर मैं एक भारतीय हूं, मेरे को-फाउंडर भी भारतीय हैं और हम जिस चीज का विकास कर रहे हैं, उससे हम गहराई से जुड़े हुए हैं और इसी के चलते हमारा मार्केट भी वजूद में है। हमारी कंपनी दस महीने पुरानी है, ऐसे में कुछ शुरुआती परेशानियां तो आएंगी ही। देश भर के सभी यूजर्स से हमें जिस कदर प्यार मिला है, उससे हम हैरान हैं और हम चाहते हैं कि हमारे इस शुरुआती सफर में वे हमारे साथ रहें।

चीनी निवेशकों के शामिल होने की बात पर कू की टीम ने कहा कि यह बात सही नहीं है। कू पूरी तरह से बॉम्बिनेट टेक्न ोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड के अधीन है और यह सिर्फ भारत में ही संचालित है। सभी डेटा और संबंधित सर्वर भी भारत से ही चलाए जाते हैं। बेंगलुरू में कंपनी का मुख्यालय है।

आज की तारीख में कू के निवेशकों में एक्टेल पार्टनर्स, 3वन4 कैपिटल, ब्लूम वेंचर्स और कलारी कैपिटल शामिल हैं। राधाकृष्ण ने कहा कि कू की संरचना में शामिल चीनी निवेशक शुनवेई से कंपनी से बाहर जाने का फैसला ले लिया है। कू को उम्मीद है कि इस मुद्दे को लगभग एक ही महीने की समयावधि में हल कर लिया जाएगा।

राधाकृष्ण ने आगे कहा कि भारत में चीनी निवेशकों पर बढ़ते प्रतिबंधों के चलते कंपनी से शुनवेई के बाहर निकलने की प्रक्रिया को उपयुक्त जांच और स्पष्टीकरण से होकर गुजरना होगा।

वेरिफिकेशन की बात पर टीम ने कहा कि हमारा वेरिफिकेशन लोकप्रियता के बजाय प्रामाणिकता पर आधारित है इसलिए हम अपने समकालीनों के मुकाबले अधिक पारदर्शिता के साथ अकाउंट्स को वेरिफाई करने में सक्षम हैं। एक प्लेटफॉर्म के तौर पर हमारी इच्छा इसे और बेहतर ढंग से पेश करने की है और हर कोई इसका उपयोग कर सके इसके लिए हम कुछ नियमों की भी पेशकश करेंगे।

पॉलिटिकल एक्सपोजर पर टीम ने कहा कि राजनीतिक संबंध होने या संगठित रूप से राजनीतिक भागीदारी होने की बातें सम्पूर्ण रूप से गलत हैं। हम एक ऐसे प्लेटफॉर्म का संचालन कर रहे हैं, जो समस्त भारतीयों के लिए अनुकूल हो। एक देसी कंपनी होने के नाते हम भारतीय संविधान और कानूनों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। हम इसे एक ऐसे मंच के रूप में पेश करना चाहते हैं, जो लोगों का, लोगों के द्वारा और लोगों के लिए हो। फिलहाल, रवि शंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, बी. एस. येदियुरप्पा, शिवराज सिंह चौहान, एचडी देवगौड़ा, एचडी कुमारस्वामी, प्रियांक खड़गे हमारे प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं और हम निश्चित हैं कि आने वाले दिनों में और भी कई राजनीतिक दिग्गज अपने प्रांतीय ऑडियंस संग हमारे मंच के साथ जुड़ेंगे।

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तकनीक से जुड़े मुद्दों पर टीम ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि कू के बारे में डेटा ब्रीच होने की बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया है। कू के 95 फीसदी यूजर्स अपने मोबाइल फोन नंबर के माध्यम से लॉग इन करते हैं। लैंग्वेज कम्युनिटी के लोग ईमेल से लॉग इन नहीं करते हैं। ईमेल लॉग इन का इजात हाल ही में हुआ है। जो डेटा पहले से ही सार्वजनिक है, उसे ब्रीच करार देना सही नहीं है। सेशन टोकन मैनेजमेंट से जुड़े कुछ मुद्दे थे, जिन्हें सुलझा लिया गया है।