कोलकाता: औपनिवेशिक काल से बंगाल की पहचान रही ऐतिहासिक ट्राम अब तकनीक के साथ विकसित होती दुनिया के साथ कदमताल नहीं कर पा रही है। भारत में अंग्रेजी शासन से लेकर अब तक कोलकाता की ट्राम सेवा के 2022 में 150 साल पूरे होने जा रहे हैं लेकिन अब ट्राम सेवा भी लगभग विलुप्त होने की राह पर है।
दरअसल, वर्ष 1873 में कोलकाता में पहली बार ट्राम सेवा आर्मेनिया घाट से सियालदह तक शुरू किया गया था। इस यात्रा की लंबाई 3.9 किलोमीटर थी। यात्रियों की कमी के कारण यह सेवा बंद करनी पड़ी थी। इसके बाद लंदन स्थित कलकत्ता ट्रामवेज कंपनी आई थी। तत्कालीन कलकत्ता में शुरू हुई ट्राम सेवा शुरुआती दिनों में घोड़ों द्वारा खींची जाती थी। उस समय ट्राम कंपनी के पास 177 ट्राम और एक हजार घोड़े थे। बाद में ट्राम चलाने के लिए स्टीम इंजन का इस्तेमाल किया गया। वर्ष 1900 की शुरुआत में 1435 मिमी यानी 4 फीट 6.5 इंच की मानक गेज ट्राम लाइन बनाई गई थी। वर्ष 1902 में ट्राम सेवाओं का विद्युतीकरण शुरू हुआ, उस समय यह एशिया की पहली इलेक्ट्रिक ट्राम सेवा थी। स्वतंत्रता के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता ट्राम कंपनी का अधिग्रहण कर लिया।
वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए विशिष्ट योजनाओं के साथ राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को आए दो साल हो चुके हैं। महानगर में वायु प्रदूषण का स्तर अभी भी चरम पर है। 2019 विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता दुनिया का छठा सबसे प्रदूषित शहर है। पर्यावरणविद शहर के अधिकांश वायु प्रदूषण के लिए खस्ताहाल सार्वजनिक परिवहन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इसी वजह से पर्यावरणविद पिछले कुछ समय से पर्यावरण के अनुकूल सार्वजनिक परिवहन की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। कलकत्ता ट्राम उपयोगकर्ता संघ के सदस्यों ने महानगर में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए शहर की सड़कों पर ट्राम की संख्या बढ़ाने की मांग की है।
ट्राम के कुछ पुराने कर्मचारियों से बात करने पर पता चला कि 1984-85 में लगभग 358 ट्राम प्रतिदिन सड़क पर दौड़ती थीं। इनमें बर्न स्टैंडर्ड और जेसप द्वारा बनाए गए 179 नए ट्राम थे। 2007-08 और 2008-09 में 37 रूटों पर यह संख्या घटकर औसतन 250 रह गई। अभी इन रूटों की संख्या घटाकर चार कर दी गई है। टालीगंज-बालीगंज, गोरियाहाट-धर्मतला, श्यामबाजार-धर्मतला और बिधाननगर-राजाबाजार पर औसतन 22 ट्राम चल रही हैं। इससे राज्य सरकार को कोई लाभ नहीं हो रहा।
महानगर में ट्राम की कमी के सवाल पर कंपनी के एक अधिकारी ने “हिन्दुस्थान समाचार” को बताया कि कंपनी के पास कोलकाता में कुल 246 ट्राम हैं। ट्राम के इंजीनियरिंग विभाग के एक कर्मचारी ने कहा कि पहले हर ट्राम का एक हिस्ट्री कार्ड होता था। उसमें यह उल्लेख किया गया होता था कि कब ट्राम बनाया गया था, किस तरह की मरम्मत या अवलोकन किए गए थे। लेकिन अब यह यह पिछले नौ साल से बंद है।
अधिकारी ने बताया कि नवंबर 2009 में, एक हजार 10 ट्राम कर्मचारियों को स्थायी किया गया था। 2010-11 में, ट्राम में क्रमशः लगभग 1350 स्थायी और 250 अस्थायी कर्मचारी थे। 2014-15 से तीन वर्षों में लगभग 500 लोगों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी गई है। अब करीब 2,250 स्थायी कर्मचारी हैं। लेकिन विभिन्न कारणों से, उनमें से लगभग सभी केवल हाजिरी लगाकर वेतन पाने की स्थिति में हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ठेकेदारों से सैकड़ों श्रमिकों को दैनिक वेतन के आधार पर काम पर रखा गया है।
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