कोलकाता: कोलकाता हाईकोर्ट ने अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा कि आलो रानी सरकार बांग्लादेशी नागरिक है। बता दें कि आलो रानी ने साल 2021 का विधानसभा चुनाव टीएमसी से लड़ा था हालांकि, वह बीजेपी प्रत्याशी से हार गई थीं।
कलकत्ता उच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने शुक्रवार को अदालत की एकल पीठ के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार आलो रानी सरकार बांग्लादेशी नागरिक हैं। आलो रानी सरकार उत्तर 24 परगना जिले की बनगांव (दक्षिण) सीट से 2021 की उम्मीदवार थीं। वह 2004 के वोटों से बीजेपी के स्वपन मजूमदार से हार गईं।
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उन्होंने न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी की एकल पीठ के समक्ष कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनाव परिणाम को चुनौती दी। विजयी उम्मीदवार के वकील ने उनकी बांग्लादेशी नागरिकता के पक्ष में सबूत पेश किया जिसके बाद अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। मजूमदार के वकील ने कोर्ट में दस्तावेज पेश कर प्रमाणित किया कि सरकार का नाम बांग्लादेश की वोटर लिस्ट में है। सरकार के वकील इसके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश करने में नाकाम रहे। न्यायमूर्ति चौधरी ने तब उनकी याचिका खारिज कर दी और फैसला सुनाया कि वह भारतीय नागरिक नहीं हैं।
सिंगल बेंच ने कहा कि भारतीय संविधान दोहरी नागरिकता की इजाजत नहीं देता है। उन्होंने भारत के चुनाव आयोग को मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया। सरकार ने उच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी, जिसमें न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार और न्यायमूर्ति सुप्रतिम भट्टाचार्य शामिल थे। डिवीजन बेंच ने भी सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखा है।
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