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आरजी कर हॉस्पिटल में मानव अंगों की तस्करी का चौंकाने वाला दावा ! 200 करोड़ के घोटाले का शक

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Kolkata Doctor Rape-Murder Case , कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। सीबीआई की अब तक की जांच और डॉक्टर के बैचमेट्स के बयानों से पता चला है कि ट्रेनी डॉक्टर की हत्या इसलिए की गई ताकि वह मानव अंगों के अवैध कारोबार को उजागर करने की कोशिश न कर सके। सीबीआई सूत्रों का दावा है कि इस हॉस्पिटल में कई सालों से मानव अंगों की तस्करी का अवैध धंधा चल रहा था।

अंग तस्करी से 200 करोड़ का घोटाला

दरअसल, सीबीआई जांचकर्ताओं ने दावा किया है कि पिछले सात सालों में अंग तस्करी से 200 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। यह घोटाला राज्य के अन्य सरकारी अस्पतालों के मुर्दाघरों तक भी फैल चुका है, जहां अज्ञात शवों से अवैध रूप से अंग निकाले जा रहे थे। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, इन अंगों को चार से आठ लाख रुपये में बेचा जाता था और इनकी तस्करी देश के दूसरे राज्यों के अलावा पड़ोसी देश में भी की जाती थी। जांच में यह भी पता चला है कि राज्य में चिकित्सा शिक्षा के विस्तार के कारण अंगों की मांग बढ़ गई थी। खासकर हृदय, लीवर और किडनी जैसे अंगों की।

जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

आरजी कर अस्पताल के वित्तीय घोटाले की जांच के दौरान मुख्य शिकायतकर्ता अख्तर अली से पूछताछ के बाद मुर्दाघर में चल रहे इस अवैध कारोबार का पता चला। जांचकर्ताओं को आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के दो करीबी लोगों से भी सुराग मिले हैं, जिन्हें तीन बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था और अवैध अंग व्यापार के पुख्ता सबूत मिले थे। सीबीआई ने पिछले सात सालों के लावारिस शवों से जुड़े पोस्टमॉर्टम रिकॉर्ड और दस्तावेजों की भी जांच की है, जिसमें कई अनियमितताएं पाई गई हैं।

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हालांकि, जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि घोटाले का अभी पूरी तरह से पर्दाफाश होना बाकी है और यह तो बस ‘हिमशैल की चोटी’ मात्र है। हाल ही में दक्षिण बंगाल के एक सरकारी अस्पताल में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी, जहां शवों को अवैध तरीके से शवगृह से निकालने की कोशिश की गई थी। उस मामले में भी अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता का संदेह है, लेकिन मामले को जल्दी ही दबा दिया गया।

डॉक्टरों का एक गिरोह इस अवैध धंधे में शामिल

जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों का एक गिरोह इस अवैध व्यापार में शामिल है। आरजी कर अस्पताल के संदर्भ में संदीप घोष की भूमिका पर भी संदेह किया जा रहा है। नियमों के मुताबिक, अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार सात दिनों के बाद किया जाना चाहिए और किसी भी अंग को निकालने के लिए स्वास्थ्य विभाग की अनुमति की आवश्यकता होती है। लेकिन इस मामले में, डॉक्टरों का यह सिंडिकेट अवैध रूप से अंगों की बिक्री को नियंत्रित कर रहा था।

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