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जानिए क्या होती है TRP, कैसे कोई टीवी प्रोग्राम बन जाता है नंबर 1

 

नई दिल्लीः टीआरपी यानी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट इन दिनों चर्च का विषय बना हुआ है, लेकिन ये कोई नई चीज नहीं है। टीआरपी का सीधा सा अर्थ यही है कि किसी टीवी प्रोग्राम को या किसी चैनल को लोग कितना पसंद कर रहे हैं। इसके मुताबिक ही चैनल्स को सरकारी और प्राइवेट विज्ञापन प्राप्त होते हैं। विज्ञापन ही टीवी चैनल के आय का मुख्य जरिया माना जाता है, इसलिए इस पर सबसे अधिक काम किया जाता है, लेकिन इन दिनों इसकी चर्चा बहुत जोरों से हो रही है। बता दें कि मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने इस पर एक सनसनीखेज खुलासा किया है। गुरुवार को मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस में परमबीर सिंह ने बताया कि मुंबई काइम ब्रांच ने एक नए रैकेट का खुलासा किया है। इस रैकेट का नाम 'फॉल्स टीआरपी रैकेट' है। पुलिस टीआरपी में हेरफेर से जुड़े एक घोटाले की जांच कर रही है।

क्या होती है टीआरपी ?

जैसा कि पहले भी बताया है कि टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट यानी टीआरपी एक ऐसा उपकरण है जिसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि कौन सा प्रोग्राम या टीवी चैनल लोग सबसे अधिक पसंद कर रहे हैं और सबसे अधिक देखा जा रहा है। साथ ही इसके कारण किसी भी प्रोग्राम या चैनल की पॉपुलैरिटी को समझने में मदद मिलती है, यानी कि लोग किसी चैनल या प्रोग्राम को कितनी बार और कितने समय के लिए देख रहे हैं। प्रोग्राम की टीआरपी सबसे ज्यादा होना मतलब सबसे ज्यादा दर्शक उस प्रोग्राम को देख रहे हैं। टीआरपी का डाटा विज्ञापनदाताओं के लिए बहुत ही उपयोगी होता है, क्योंकि विज्ञापनदाता उन्ही प्रोग्राम को विज्ञापन देने के लिए चुनते हैं जिसकी टीआरपी ज्यादा होती है। बता दें कि टीआरपी को मापने के लिए कुछ जगहों पर 'पीपल मीटर' (People Meter) लगाए जाते हैं। इसे ऐसे समझ सकते है कि कुछ हजार दर्शकों को न्याय और नमूने के रूप में सर्वे किया जाता है और इन्हीं दर्शकों के आधार पर सारे दर्शक मान लिया जाता है जो टीवी देख रहे होते हैं। ये पीपल मीटर विशिष्ट आवृत्ति के द्वारा पता लगाते हैं कि कौन सा प्रोग्राम या चैनल कितनी बार देखा जा रहा है।

कैसे पता करते हैं टीआरपी ?

इस मीटर के जरिए टीवी की एक-एक मिनट की जानकारी को निगरानी दल, भारतीय टेलीविजन दर्शकों का मापन (INTAM) तक पहुंचा दिया जाता है। ये टीम पीपल मीटर से मिली जानकारी का विश्लेषण करने के बाद तय करती है कि किस चैनल या प्रोग्राम की टीआरपी कितनी है। इसकी गणना करने के लिए एक दर्शक के द्वारा नियमित रूप से देखे जाने वाले प्रोग्राम और समय को लगातार रिकॉर्ड किया जाता है और फिर इस डाटा को 30 से गुना करके प्रोग्राम का एवरेज रिकॉर्ड निकाला जाता है। यह पीपल मीटर किसी भी चैनल और उसके प्रोग्राम के बारे में पूरी जानकारी निकाल लेता है।

रिपब्लिक टीवी पर क्या है आरोप

मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने कहा कि यह हम जांच कर रहे हैं। इसमें फरेंसिक एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है। जो आरोपी पकड़े गए हैं, उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि दो छोटे चैनल फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा भी शामिल है। इनके मालिकों को कस्टडी में लिया गया है। हंसा की शिकायत पर केस दर्ज किया गया है। ब्रीच ऑफ ट्रस्ट और धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि रिपब्लिक टीवी में काम करने वाले लोग, प्रमोटर और डायरेक्टर के इस 'खेल' में शामिल होने के चांस हैं। आगे की जांच चल रही है। जिन लोगों ने विज्ञापन दिया, उनसे भी पूछताछ की जाएगी कि उनपर कोई दबाव तो नहीं था।

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कैसे होता है हेरफेर

पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के मुताबिक भारत भर में अलग-अलग जगहों पर 30 हजार बैरोमीटर लगाए गए हैं। मुंबई में इन मीटरों को लगाने का काम हंसा नाम की संस्था ने किया था। मुंबई पुलिस का दावा है कि हंसा के कुछ पुराने वर्करों ने जिन घरों में पीपल्स मीटर लगे थे, उनमें से कई घरों में जाकर वे लोगों से कहते थे कि आप 24 घंटे अपना टीवी चालू रखिए और फलां चैनल लगाकर रखिए। इसके लिए वे लोगों को पैसे भी देते थे।