Saturday, November 23, 2024
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Homeटॉप न्यूज़जानें भारत रत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन की कुछ रोचक बातें

जानें भारत रत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन की कुछ रोचक बातें

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan : एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने 16 साल में शादी के बंधन में बंधकर समाज के नियमों को माना तो 21 साल की उम्र में लेक्चरर बनकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। ये शख्स हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, उनकी जिंदगी की दिलचस्प दास्तान जानकर आप हौरान हो जाएंगें।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवन कथा   

बता दें, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने वाला दिन, डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन को समर्पित है। डॉ. राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद और भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे। उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूतनी में हुआ था। उनके पिता वीर सामैय्या तहसीलदार मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे, उनके परिवार का मूल गांव सर्वपल्ली था। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा तिरुतनी में प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने तिरुपति के लूथेरियन मिशनरी हाई स्कूल, वूर्चस कॉलेज वेल्लूर और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी की।

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अपनी शिक्षा के दौरान उन्होंने दर्शनशास्त्र में MA किया, जिसने उनके जीवन की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, 16 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई, लेकिन शादी के बाद भी उनके शिक्षा के सपने नहीं टूटे। 20 साल की उम्र में उन्होंने ‘एथिक्स ऑफ़ वेदान्त’ पर थीसिस लिखा, जो साल 1908 में प्रकाशित हुआ।

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महज 21 साल की उम्र में उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में फिलॉसफी विभाग में जूनियर लेक्चरर के रूप में शिक्षक के रुप में पढ़ाना शुरु किया। बता दें, सर्वपल्ली राधाकृष्नन Dr. Sarvepalli Radhakrishnan का करियर बहुत ही प्रेरणादायक रहा। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान भी दिए। इसके बाद उनको 1954 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। सन् 1952 से लेकर 1962 तक उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के रुप में देश की जिम्मेदारी को संभाला। जिसके बाद उन्हें सन् 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

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बता दें, डॉ. राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है। उनका मानना था कि, शिक्षकों को समाज में एक विशेष स्थान मिलना चाहिए और शिक्षक दिवस इसी विचार को जीवित रखता है। उनकी आदर्श और शिक्षाएं आज भी विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं। आज भी उनके सम्मान में इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर कोई इस दिन अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

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