खूंटी (Khunti): जिले के तोरपा प्रखंड क्षेत्र में जंगलों और पहाड़ियों से घिरी पेरवांगाघ जलप्रपात की सुरम्य घाटियां पर्यटकों के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है। यह झरना झारखंड के सबसे खूबसूरत झरनों में गिना जाता है। पेरवांगाघ की प्राकृतिक सुंदरता और नीले पानी की झील काफी मनमोहक दिखाई देती है। पेरवांगाघ में दूर-दूर तक फैली नदी, उसमें खड़ी विशाल चट्टानें और उनके विपरीत बहती नदी की कलकल धारा लोगों का ध्यान अपने आप खींच लेती है।
ऊंचे पहाड़ों और घने जंगलों के बीच स्थित पेरवाघ झरने के आकर्षक दृश्य का आनंद लेने के लिए पर्यटक यहां आते हैं। यहां खूंटी, तोरपा, तपकारा, मुरहू, रनिया, कामडारा के अलावा रांची व अन्य जिलों व राज्यों से भी पर्यटक पहुंचते हैं. जिला प्रशासन के सौजन्य से पर्यटकों की सुविधा के लिए पेरवान घाघ में आधारभूत संरचना का विकास किया जा रहा है। इसका सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। जलप्रपात परिसर में पर्यटकों के आसान प्रवेश के लिए रेलिंग, वॉच टावर और पर्यटक शेड के साथ सीढ़ी का निर्माण किया गया है। पेरावंघ झील का आनंद लेने के लिए नौकायन की भी व्यवस्था है।
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पर्यटक जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए लाइफ जैकेट का उपयोग कर नौकायन का आनंद लेते हैं। पेरवा घाघ में पर्यटकों की सुविधा के लिए पर्यटक मित्र व गोताखोर सुबह से शाम तक तैनात रहते हैं। नागपुरी भाषा में पेरवा का अर्थ है कबूतर और घाघ का अर्थ है ऊंचाई से झील में गिरता पानी। यहां कोयल और कारो नदी के संगम का पानी 80 फीट की ऊंचाई से झील में गिरता है। आसपास के लोगों का कहना है कि कबूतर आज भी पहाड़ों की गुफाओं में रहते हैं। इसलिए इसका नाम पेरवा घाघ पड़ा। यहां स्थित एक गुफा में अति प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। गांव के पाहन वर्षों से इस शिवलिंग की पूजा करते आ रहे हैं. पेरवा घाघ में कई छोटे-बड़े झरने हैं।
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