Wednesday, November 27, 2024
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Homeदेशइस पूजा पंडाल में दिखेगा थाईलैंड का बौद्ध मंदिर, आकर्षक होगी लाइटिंग

इस पूजा पंडाल में दिखेगा थाईलैंड का बौद्ध मंदिर, आकर्षक होगी लाइटिंग

खूंटी: एक समय था जब खूंटी के लोग दुर्गा पूजा (Durga Puja 2023) के दौरान पंडालों और मूर्तियों को देखने के लिए रांची जाते थे, लेकिन खूंटी में ही ऐसे भव्य और आकर्षक पंडाल और मूर्तियां बन रही हैं, जिनकी सुंदरता देखने लायक है।

वैसे तो जिला मुख्यालय खूंटी के शहरी क्षेत्र में 11 स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है, लेकिन सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति भगत सिंह चौक का पूजा पंडाल अपनी अनूठी पहचान और विशेष शैली के लिए जाना जाता है। हर साल दुर्गा पूजा के दौरान भव्य पंडाल और आकर्षक सजावट के कारण इस पूजा पंडाल की चर्चा जिले में ही नहीं बल्कि जिले के बाहर भी होती है। इस साल भी पूजा समिति अपने खास और अलग अंदाज में थाईलैंड के बौद्ध मंदिर के स्वरूप में भव्य पंडाल का निर्माण करा रही है।

बंगाल के कारीगर कर रहे निर्माण

पंडाल के निर्माण में स्टील और एल्यूमीनियम का उपयोग किया जा रहा है, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगा। स्टील और एल्यूमीनियम से बने पूजा पंडाल को अंतिम रूप देने के लिए बंगाल के दीघा के दर्जनों कारीगर पिछले एक महीने से दिन-रात काम कर रहे हैं। सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति भगत सिंह चौक के अध्यक्ष रूपेश जयसवाल ने बताया कि इस साल पूजा (Durga Puja 2023) पर करीब 20 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है।

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12 फीट ऊंची देवी प्रतिमा में होगी स्टील कोटिंग

अध्यक्ष ने बताया कि बंगाल में 2.5 लाख रुपये की लागत से 12 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण कराया जा रहा है। प्रतिमा में स्टील कोटिंग भी होगी, जो विशेष आकर्षण का केंद्र होगी। उन्होंने बताया कि इस बार पूजा में बंगाल चंदननगर की लाइटिंग के साथ-साथ स्थानीय चौरसिया लाइट द्वारा भी पूजा पंडाल (Durga Puja 2023) के साथ-साथ आसपास के इलाकों में आकर्षक व मनभावन विद्युत सजावट की जा रही है।

64 साल पुराना है समिति की पूजा का इतिहास

सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति भगत सिंह चौक पर पूजा का इतिहास 64 वर्ष पुराना है। समिति के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय डॉ. मन्मथ नाथ शर्मा समेत कई लोगों ने वर्ष 1959 में पहली बार यहां प्रतिमा स्थापित कर दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी। पहली बार हुई इस पूजा में मात्र 159 रुपये खर्च हुए थे। समय के साथ पूजा पंडाल का आकार-प्रकार बदलता गया और खर्च भी तेजी से बढ़ता गया। आज यह पूजा पंडाल जिले के प्रमुख पूजा पंडालों में गिना जाता है।

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