Kharmas 2022: खरमास के दौरान नहीं हो सकेंगे मांगलिक कार्य, जानें इसकी पौराणिक कथा

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नई दिल्लीः खरमास को मलमास या अधिक मास के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। आज से खरमास प्रारंभ हो रहा है। ऐसे में अब एक माह तक मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। जब सूर्य धनु या मीन राशि में आते हैं, तब खरमास लगता है। यह एक महीने की अवधि का होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास के दौरान सूर्य धीमी गति से संचरण करते हैं इसलिए शुभ कार्य इस दौरान वर्जित माने गये हैं। इस अवधि में विवाह या अन्य मांगलिक कार्य नहीं होंगे, लेकिन पूजन अनुष्ठान होंगे।

14 जनवरी को समाप्त होगा खरमास
जब सूर्य बृहस्पति की राशि धनु या मीन में आते हैं तब खरमास लगता है। सूर्य 16 दिसम्बर से एक माह के लिए धनु राशि में संचरण करेंगे, तब तक खरमास रहेगा। उसके बाद जब 14 जनवरी 2023 को सूर्य मकर राशि में आएंगे यानि मकर संक्रांति होगी, तब खरमास समाप्त होगा। मकर संक्रांति के बाद ही विवाह लग्नें शुरू होगी। जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में जाते हैं, तो उसे संक्राति कहते हैं।

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जानें खरमास की पौराणिक कथा
भगवान सूर्यदेव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उन्हें कहीं पर भी रुकने की इजाजत नहीं है। उनके रुकते ही जनजीवन भी ठहर जाएगा। लेकिन जो घोड़े उनके रथ में जुते होते हैं, वे लगातार चलने व विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक जाते हैं। उनकी इस दयनीय दशा को देखकर सूर्यदेव का मन भी द्रवित हो गया। भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब किनारे ले गए लेकिन उन्हें तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन घोड़ों का सौभाग्य कहिए कि तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे। अब भगवान सूर्यदेव घोड़ों को पानी पीने व विश्राम देने के लिए छोड़ देते हैं और खर यानी गधों को अपने रथ में जोड़ लेते हैं। अब घोड़ा, घोड़ा होता है और गधा, गधा। रथ की गति धीमी हो जाती है फिर भी जैसे-तैसे 1 मास का चक्र पूरा होता है, तब तक घोड़ों को भी विश्राम मिल चुका होता है। इस तरह यह क्रम चलता रहता है और हर सौरवर्ष में 1 सौरमास ‘खरमास’ कहलाता है।

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