Monday, January 6, 2025
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Homeउत्तर प्रदेशUP के युवाओं को ब्रेनवॉश कर अपराधी बना रहे खालिस्तानी आतंकी

UP के युवाओं को ब्रेनवॉश कर अपराधी बना रहे खालिस्तानी आतंकी

लखनऊः पंजाब में खालिस्तानी आतंकवादियों और अपराधियों के बढ़ते नेटवर्क ने अब UP को भी अपनी गतिविधियों का केन्द्र बना लिया है। यह इलाका अब आतंकवादियों के लिए केवल छिपने की जगह नहीं, बल्कि एक ट्रांजिट और हथियारों की सप्लाई रूट के रूप में भी इस्तेमाल हो रहा है। विशेषकर UP के पश्चिमी और तराई इलाकों में खालिस्तानी आतंकवादियों की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं और आतंकी संगठन युवाओं को भर्ती करने के लिए भी इस क्षेत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल में यूपी एटीएस और खुफिया विभाग ने ऐसी कई घटनाओं का खुलासा किया है, जिनसे यह साफ हो गया है कि खालिस्तानी आतंकवादी और अपराधी यूपी को अपनी गतिविधियों के लिए सुरक्षित ठिकाना मानने लगे हैं।

अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां

पंजाब में आतंकवादी घटनाओं का ग्राफ पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ा है। जहां एक ओर पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां इन घटनाओं पर काबू पाने की कोशिश कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर आतंकवादी संगठन और अपराधी अब यूपी में शरण लेने लगे हैं। एक ओर जहां ये लोग यहां छिपने का काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर युवाओं को आतंकी संगठनों में भर्ती कर उनका ब्रेनवॉश भी किया जा रहा है। हाल में तीन खालिस्तानी आतंकियों के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद यूपी के तराई इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों के इस पैमाने का खुलासा हुआ है। यूपी के तराई इलाके, जैसे- बरेली, पीलीभीत और शाहजहांपुर, खालिस्तानी आतंकवादियों और अपराधियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बन चुके हैं। इन क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में खालिस्तानी आतंकवादियों के संगठनों की गतिविधियों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। राज्य के खुफिया विभाग और पुलिस ने इस बढ़ती गतिविधि को लेकर कई बार अलर्ट जारी किया है।

इस साल जून में खुफिया एजेंसियों ने यूपी के तराई क्षेत्र में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर चेतावनी दी थी। पंजाब में कई आतंकी वारदातों के बाद यह सामने आया कि यूपी के विभिन्न इलाकों से खालिस्तानी आतंकवादियों को हथियार सप्लाई किए जाते हैं। 2016 में हुए नाभा जेल ब्रेक के आरोपियों को यूपी से हथियार मिले थे। इस घटनाक्रम में लखीमपुर खीरी के जितेंद्र सिंह टोनी और सिकंदरपुर के सतनाम को गिरफ्तार किया गया था। ये दोनों बब्बर खालसा ग्रुप के सदस्य थे और पंजाब में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए यूपी से हथियारों की आपूर्ति करते थे। इसी के बाद, वर्ष 2017 में एटीएस ने लखनऊ के ऐशबाग से बब्बर खालसा ग्रुप के सदस्य बलवंत सिंह को पकड़ा, जो असलहों की आपूर्ति करता था। बलवंत सिंह ने एक दर्जन से ज्यादा असलहे खालिस्तानी आतंकवादियों को दिए थे, जिनका इस्तेमाल पंजाब में कई आतंकवादी घटनाओं में किया गया था। इन असलहों के जरिए पंजाब में हुई कई वारदातों को अंजाम दिया गया, जिससे यूपी में खालिस्तानी आतंकवादियों का नेटवर्क मजबूत हुआ।

नाभा जेल ब्रेक के मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरिया ने भी यूपी को पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल किया था। वह शाहजहांपुर और पीलीभीत में छिपा हुआ था और पंजाब में अपने संगठन के कामों के लिए यहां से निर्देश भेजता था। उसने यहां फर्जी दस्तावेज तैयार करवा कर पासपोर्ट के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन खुफिया विभाग की सूझबूझ से उसे पकड़ लिया गया। मोहाली में इंटेलिजेंस मुख्यालय पर हुए आरपीजी अटैक के आरोपी अयोध्या में छिपे हुए थे। इन आतंकवादियों को शरण देने के आरोप में फैजाबाद के नेता विकास सिंह के खिलाफ एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की थी। अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले तीन खालिस्तानी समर्थकों को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया था।

ये लोग खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के निर्देश पर अयोध्या में रेकी करने आए थे। इस बढ़ती चुनौती के मद्देनजर, खुफिया एजेंसियों ने कई बार यूपी सरकार को अलर्ट जारी किया है। यूपी पुलिस और खुफिया एजेंसियां अब एक साथ मिलकर इन गतिविधियों पर काबू पाने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि, खालिस्तानी आतंकवादियों और उनके सहयोगियों की प्रदेश में बड़ी मौजूदगी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। राज्य सरकार को अब खुफिया विभाग, पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के समन्वय से इस चुनौती का सामना करना होगा, ताकि यूपी को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनने से रोका जा सके।

पीलीभीत में ढेर किए गए थे तीन आतंकी

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में पूरनपुर थाना क्षेत्र में पुलिस और खालिस्तानी आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस ऑपरेशन में तीन आतंकियों को ढेर कर दिया गया था, जबकि दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। मुठभेड़ के दौरान आतंकियों के पास से दो एके-47 राइफल, ग्लॉक पिस्टल और भारी मात्रा में कारतूस बरामद हुए थे। पुलिस को बिना नंबर की बाइक भी मिली थी। मृत आतंकियों की पहचान गुरविंदर सिंह, वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि और जसप्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह के रूप में हुई थी, जो गुरदासपुर में पुलिस चैकी पर हुए ग्रेनेड हमले में भी शामिल थे।

शामली में पुलिस चौकी पर हमला और हथियार लूट

2019 में पांच खालिस्तानी आतंकवादियों ने शामली जिले के झिंझाना में पुलिस चौकी पर हमला किया था। इस हमले में एक होमगार्ड की हत्या कर दी गई थी और दो पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हमलावरों ने पुलिस चैकी से दो राइफलें भी लूट ली थीं। ये आतंकवादी पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की हत्या की साजिश रच रहे थे। इस हमले के बाद सुरक्षाबलों ने कई महत्वपूर्ण गिरफ्तारियां की और खालिस्तानी आतंकवादियों के नेटवर्क को कमजोर किया।

West UP में खालिस्तानी नेटवर्क और हथियारों की आपूर्ति

यूपी एटीएस ने 2019 में मेरठ से खालिस्तानी आतंकी तीरथ सिंह को गिरफ्तार किया था, जो सोशल मीडिया पर खालिस्तान के लिए आंदोलन चला रहा था। उसी साल मेरठ से ही अरशद अली उर्फ मुंशी को गिरफ्तार किया गया, जो खालिस्तानी आतंकवादियों को हथियारों की आपूर्ति करता था। मुंशी द्वारा सप्लाई किए गए असलहों का इस्तेमाल पंजाब में कई आतंकवादी हमलों में किया गया था।

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आतंकी संगठन और युवाओं को भर्ती करने की प्रक्रिया

यूपी के तराई इलाके में खालिस्तानी संगठनों द्वारा युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने की प्रक्रिया भी चल रही है। ये संगठन युवाओं को अपने प्रभाव में लेकर उन्हें आतंकी प्रशिक्षण देते हैं। इस सिलसिले में कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिसमें युवाओं को खालिस्तानी आंदोलनों के बारे में गुमराह किया गया था।

पवन सिंह चैहान

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