लखनऊः लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) हॉस्पिटल में रेजिडेंट डॉक्टर्स के काम के दबाव की गंभीरता सामने आई है। हाल ही में एक रेजिडेंट डॉक्टर ने भारी वर्कलोड के चलते आत्महत्या की कोशिश की थी। इस मामले ने वर्क प्रेशर के मानसिक और शारीरिक प्रभावों पर एक गंभीर सवाल खड़ा किया है। केजीएमयू में करीब 2,400 से अधिक रेजिडेंट्स काम कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, यहां हर दिन 6,000 से अधिक मरीज आते हैं और 4,000 से ज्यादा बेड्स हैं। रेजिडेंट्स की जिम्मेदारी इमरजेंसी, वार्ड, ओपीडी, लैब जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं तक फैली हुई है। हालांकि, इन डॉक्टरों को प्रैक्टिकल अनुभव के साथ-साथ लगातार मानसिक और शारीरिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
KGMU: आराम करने का नहीं मिल रहा समय
रेजिडेंट्स डॉक्टरों की समस्या को बताते हुए रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. रणविजय पटेल ने बताया कि रेजिडेंट्स की सबसे बड़ी समस्या उनकी शिफ्ट्स का नियमित न होना है। अक्सर ये शिफ्ट्स 16 से 20 घंटे तक बढ़ जाती हैं, जिसके कारण इनको आराम करने का समय नहीं मिल पाता। इससे उनकी सेहत पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, केजीएमयू प्रशासन ने हाल ही में रेजिडेंट्स के लिए रेस्टिंग रूम्स बनाने की योजना की घोषणा की थी, लेकिन रेजिडेंट्स का कहना है कि इस दिशा में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। डॉ. रणविजय का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में रेस्टिंग रूम के हालात में सुधार देखने को मिला है।
इसके अलावा कुछ रेजिडेंट्स की यह शिकायत आम है कि काम के बोझ के कारण उन्हें ठीक से खाना तक नहीं मिल पाता। कई बार तो खाना खाते हुए भी भाग-दौड़ करनी पड़ती है। इसके अलावा, हॉस्पिटल परिसर में कोई 24 घंटे खुलने वाली कैंटीन नहीं है, जिससे यह समस्या और बढ़ जाती है। इसके अलावा रेजिडेंट्स डॉक्टरों की सालों पुरानी समस्या हॉस्टल के छोटे कमरे हैं, जिनमें दो डॉक्टर्स को एक साथ रहना पड़ता है। इन छोटे कमरों के कारण रेजिडेंट्स की दिनचर्या प्रभावित होती है। हालांकि, डॉ. रणविजय का कहना है कि नए हॉस्टल में इस तरह की समस्या देखने को नहीं मिल रही है।
KGMU: काउंसिलिंग से डर रहे डॉक्टर
केजीएमयू प्रशासन ने स्टूडेंट्स और रेजिडेंट्स के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था की है, लेकिन अधिकतर रेजिडेंट्स इसका इस्तेमाल नहीं करते। उनका कहना है कि अगर वे काउंसिलिंग का लाभ उठाते हैं, तो उन्हें डर है कि लोग कहेंगे कि डॉक्टर होकर डिप्रेशन में है और इससे उनकी रेजिडेंटशिप पर असर पड़ सकता है। रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि अगर इन समस्याओं का समाधान किया जाए, तो उनकी कार्य क्षमता में सुधार हो सकता है और उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। वे प्रशासन से अपील करते हैं कि उन्हें उचित शिफ्ट टाइमिंग, आराम की सुविधा और मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन मिलना चाहिए, ताकि वे अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए बेहतर सेवा दे सकें। रेजिडेंट्स के सामने काम के दबाव और अनियमित वर्किंग ऑवर्स को लेकर बढ़ती समस्याओं पर केजीएमयू रेजिडेंट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. रणविजय पटेल का कहना है कि अनियमित वर्किंग ऑवर्स, सही रेस्टिंग रूम न होना, खाने तक का समय न मिलने जैसी कई समस्याएं हैं, जिनसे हर रेजिडेंट्स जूझ रहा है।
इन समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाना चाहिए। हालांकि, केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने संस्थान की व्यवस्थाओं का बचाव करते हुए कहा कि संस्थान में रेजिडेंट्स का पूरा ख्याल रखा जाता है। उनके लिए मेस और कैंटीन, दोनों की व्यवस्था है। रेस्टिंग रूम भी है। उनकी कोई भी समस्या दूर करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी हेल्प डेस्क भी है, जहां उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है। अगर कोई समस्या है, तो उसको दूर कराया जाएगा। प्रबंधन और रेजिडेंट्स के इस मतभेद के बीच यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इन समस्याओं को कितनी जल्दी और प्रभावी रूप से हल करता है।
प्रसाधन व विश्राम कक्ष होंगे दुरूस्त
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) अपनी चिकित्सा और शैक्षिक सेवाओं में निरंतर सुधार और विस्तार कर रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए चिकित्सकों, शिक्षकों, छात्रों, और कर्मचारियों के लिए उच्च गुणवत्ता की सुविधाओं को सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया है। अभी हाल ही में, केजीएमयू ने रेजिडेंट छात्रों की मांग और उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपने सभी विभागों में पुरुष और महिला प्रसाधन कक्षों की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए हैं।
इसके तहत सभी विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए और प्रत्येक विभाग में प्रसाधन कक्ष एवं विश्राम कक्ष की वस्तुतः स्थिति की जांच की गई। इस प्रक्रिया में 92 प्रतिशत विभागों में स्थायी रूप से अलग-अलग प्रसाधन कक्षों की व्यवस्था स्थापित की जा चुकी है। शेष 08 प्रतिशत विभागों और आपातकालीन कार्यस्थलों पर फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्थाएं लागू की गई हैं, जिन्हें जल्द ही स्थाई रूप में परिवर्तित कर दिया जाएगा।
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इसके साथ ही 80 प्रतिशत विभागों और कार्यस्थलों पर रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए विश्राम कक्षों की स्थापना की जा चुकी है, जो उनकी कार्यकुशलता और आराम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस काम की प्रगति और विश्वविद्यालय प्रशासन की कोशिशों को हाल ही में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के सामने प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने इस पहल की सराहना की। विश्वविद्यालय प्रशासन यह सुनिश्चित करता है कि सभी रेजिडेंट डॉक्टरों, विशेष रूप से महिला डॉक्टरों की निजी और व्यावसायिक आवश्यकताओं का पूरा सम्मान किया जाए। इसके साथ ही, चिकित्सा शिक्षा और उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवाएं प्रदान करते हुए रोगियों की संतुष्टि को प्राथमिकता दी जा रही है।
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