तिरुवनंतपुरम: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्निथला ने राज्य में यातायात उल्लंघन को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक आधारित सीसीटीवी कैमरे खरीदने और स्थापित करने में भारी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का आरोप लगाया है। केरल परिवहन विभाग ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ने और उन पर जुमार्ना लगाने के लिए एआई-सक्षम सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए हैं। यह राज्य सरकार की सुरक्षित केरल परियोजना का हिस्सा था।
हालांकि, विपक्षी कांग्रेस के उन कंपनियों को सब-कॉन्ट्रैक्ट देने के आरोपों के बाद जो इस तरह के कैमरों को लगाने की क्षमता नहीं रखते थे, यह योजना भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गई है। चेन्निथला, जो राज्य के पूर्व गृह मंत्री भी हैं, ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम केरल राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (केलट्रॉन) द्वारा ठेके और उप-ठेके देने के सौदे में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन पर नियंत्रण और ऐसा करने वालों पर जुर्माना लगाने के लिए पूरी तरह से स्वचालित यातायात प्रवर्तन प्रणाली स्थापित करने के लिए 2020 में केलट्रॉन के साथ एक अनुबंध किया था। केलट्रॉन ने निविदा मानदंडों का उल्लंघन करते हुए बेंगलुरु की एक कंपनी, एसआरआईटी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को एक उप-अनुबंध दिया कंपनी के पास ऐसी परियोजनाओं का कोई अनुभव नहीं है।
यह भी पढ़ें-टूंडला पुलिस ने किया करोड़ का गांजा बरामद, ट्रक में भर कर ले जा रहे थे तस्कर, 7 गिरफ्तार
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एसआरआईटी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने फिर केरल की दो कंपनियों, लाइट मास्टर लाइटिंग इंडिया लिमिटेड, नालनचिरा, तिरुवनंतपुरम और रासाडियो टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, कोझिकोड के मालापारम्बा के साथ उप-अनुबंध किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों कंपनियों के पास भी इस तरह की परियोजना का अनुभव नहीं था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि परियोजना के लिए 151.22 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। चेन्निथला ने पूछा, क्या किसी अन्य कंपनी ने निविदा में भाग लिया था और क्या निविदा प्रक्रिया के आधार पर अनुबंध प्रदान किया गया है? उन्होंने केलट्रॉन प्रबंधन से सवालों के जवाब देने को कहा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बाद में टेंडर की राशि 232 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि कैमरे केवल स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) आधारित थे, न कि एआई कैमरे, जैसा कि राज्य परिवहन विभाग और राज्य सरकार ने दावा किया है। रमेश चेन्निथला ने कहा कि अगर सरकार अगले कुछ दिनों में इस मुद्दे पर विवरण का खुलासा नहीं करती है, तो वह और तथ्य सामने लाएंगे। हालांकि केलट्रॉन के प्रबंध निदेशक नारायण मूर्ति ने रमेश चेन्निथला द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया।
उन्होंने कहा कि पांच साल की परिचालन लागत 232 करोड़ रुपये थी और एसआरआईटी के साथ इसका अनुबंध पोस्ट बनाने और कैमरों की स्थापना में सहायता करना था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उप-अनुबंध एसआरआईटी ने दिए थे और केलट्रॉन इसमें किसी भी तरह से शामिल नहीं था। राज्य के परिवहन मंत्री एंटनी राजू ने मीडियाकर्मियों को बताया कि परियोजना के पीछे का विचार यातायात उल्लंघन और परिणामस्वरूप होने वाली मौतों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को कम करना था। उन्होंने यह भी कहा कि परियोजना सीधे केलट्रॉन से संबंधित थी न कि परिवहन विभाग से और इसलिए केलट्रॉन को आरोपों का जवाब देना है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)