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कोरोना मरीजों को रेमडेसिविर-स्टेरॉयड देने से पूर्व इन बातों का रखें ख्याल

नई दिल्लीः कोरोना के मरीजों को शुरुआत में ही कई एंटी वायरल एंटीबायोटिक का कॉकटेल देना खतरनाक साबित हो सकता है। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने सोमवार को वर्चुअल प्रेसवार्ता में बताया कि कोरोना महामारी के एक साल में दो चीजें सीखने को मिली है। एंटी वायरल दवा मरीज को कब देनी है यह बात बेहद जरूरी है। देखने में आ रहा है कि लोग रेमडेसिविर और स्टेरॉयड के लिए परेशान हो रहे हैं, जबकि यह दवा सिर्फ अस्पतालों में दी जानी चाहिए।

उन्होंने बताया कि रेमडेसिविर तब देना चाहिए जब कोरोना के मरीज को 5वें दिन भी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा हो। फेफड़ों में वायरल लोड कम करने के लिए यह दवा दी जाती है। दूसरी बात लोग स्टेरॉयड भी पहले दिन से ही लेने लग जाते हैं। मरीज पर स्टेरॉयड कारगर है लेकिन इसे कब देना चाहिए यह जानना भी जरूरी है। शुरू में ही दवा दे देंगे, तो उसका मरीज पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। सही मायने में जब मरीज गंभीर हो जाता है तब स्टेरॉयड देना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना के मरीजों पर ज्यादा कारगर नहीं साबित हुई लेकिन कई मामलों में यह काम भी कर रही है। क्योंकि अभी कोरोना का सही-सही इलाज नहीं है इसलिए डॉक्टर प्रोटोकॉल के हिसाब से ही इलाज कर रहे हैं।

रेमडेसिविर दवा जल्दी ही पर्याप्त मात्रा में होगी उपलब्ध
एंटीवायरल दवा रेमडेसिविर जल्दी ही पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होगी। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने माना कि देश में अचानक कोरोना की दूसरी लहर आने से रेमडेसिविर की कमी हो गई थी। लेकिन इसे बनाने वाली सात कंपनियों ने दवा का उत्पादन दोगुना कर दिया है। साथ ही इस दवा का निर्यात भी रोक दिया गया है। पहले 100 देशों को यह दवा भेजी जाती थी।

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कोरोना संक्रमण हवा से फैलने वाली बीमारी, इसलिए पहने मास्क
डॉ वीके पॉल ने बताया कि कोरोना संक्रमण हवा से फैलती है इसलिए लोग मास्क जरुर लगाए। घर में क्रास वेंटिलेशन बनाए रखें। साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें।