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कश्मीरी पंडित बिंदरू की गोली मारकर हत्या, बेटी ने आतंकियों को दी खुली चुनौती

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आतंकियों ने कश्मीरी पंडित व 'बिंदरू मेडिकेट' के मालिक माखन लाल बिंदरू की गोली मारकर हत्या कर दी।इसके अलावा आतंकियों ने दो अन्य जगहों पर भी हमला किया, जिनमें दो अन्य की मौत हुई है। बिंदरू की हत्या के बाद इस आतंकी हमले की आलोचना हो रही है। इसी बीच बिंदरू की बेटी श्रद्धा बिंदरू ने आतंकियों को ललकारते हुए उन्हें खुली चुनौती दी है। बता दें कि श्रीनगर के इकबाल पार्क के पास मंगलवार शाम आतंकियों ने 'बिंदरू मेडिकेट' के मालिक माखन लाल बिंदरूपर फायरिंग कर दी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।

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श्रद्धा विंदरू ने आतंकियों पर साधा निशाना

बेटी श्रद्धा बिंदरू ने बुधवार को आतंकियों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पिता एक फाइटर थे जो हमेशा कहते थे कि वह अपने जूते पहनकर मर जाएंगे। उन्होंने कहा, "मेरी आंखों में एक भी आंसू नहीं है क्योंकि वह एक फाइटर थे, वह एक फाइटर की तरह मरे। उन्होंने हमेशा कहा, मैं अपने जूते पहनकर मर जाऊंगा।" पत्रकारों से बात करते हुए, श्रद्धा बिंदरू ने आतंकवादियों से कहा कि वे राजनेताओं द्वारा दिए गए पत्थरों और बंदूकों के बजाय शिक्षा से लड़ें।

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श्रद्धा बिंदरू ने कहा, "वह कौन है जिसने मेरे पिता को गोली मार दी, मेरे सामने आओ, तुम्हारे पास कुछ शिक्षा है? मेरे पिता ने मुझे शिक्षा दी, राजनेताओं ने तुम्हें बंदूकें और पत्थर दिए, तुम बंदूक और पत्थरों से लड़ना चाहते हो, यह कायरता है, सभी राजनेता उपयोग कर रहे हैं आप सामने आएं और शिक्षा से लड़ें।" "मैं एक एसोसिएट प्रोफेसर हूं, मैंने शून्य स्तर से शुरूआत की, मेरे पिता ने साइकिल से शुरूआत की, मेरा भाई एक प्रसिद्ध मधुमेह रोग विशेषज्ञ है, मेरी मां दुकान में बैठती है, यही माखन लाल बिंदरू ने हमें बनाया है। एक कश्मीरी पंडित, वह कभी नहीं मरेंगे। "

70 साल के बिंदरू एक कश्मीरी पंडित थे

बता दें कि 70 साल के बिंदरू एक कश्मीरी पंडित थे और श्रीनगर के पुराने निवासी थे। उन्होंने कश्मीर तब भी नहीं छोड़ा जब वहां आतंकवाद चरम पर था और आतंकवादी विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों को निशाना बना रहे थे। उनकी दुकान पर लोग दवाइयां खरीदते थे। गौरतलब है कि कश्मीर में मंगलवार को तीन घंटे से भी कम समय में तीन नागरिकों की हत्या को 'आतंकवादियों द्वारा हताशा का एक और कृत्य' कहकर खारिज नहीं किया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर विकास के पथ पर अग्रसर है और इस बीच ये हत्याएं एक संदेश के तौर पर देखी जा सकती हैं। कश्मीर में निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा से पहले हम हजारों कश्मीरी पंडितों को वापस लाने का इरादा रखते हैं, जिन्हें लगभग 31 साल पहले मंगलवार की तरह आतंकी कृत्यों के माध्यम से अपने घरों से बाहर कर दिया गया था।

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