राजनीति

चीनी वीजा मामला: कार्ति चिदंबरम को लगा झटका, याचिका खारिज

नई दिल्ली: सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को कथित चीनी वीजा घोटाले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन मामले में कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और अन्य की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। कांग्रेस नेता के अलावा, दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट ने मामले में उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट एस. भास्कर रमन और थर्मल पावर प्लांट तलवंडी साबो पावर के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट विकास मखरिया सहित अन्य आरोपियों द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिकाओं को भी खारिज कर दिया।

30 मई को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एम. के. नागपाल ने आदेश सुरक्षित रख लिया था और मामले को शुक्रवार के लिए निर्धारित कर दिया था। पिछली सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि कथित लेन-देन 2011 का है और ईडी ने लंबे समय के बाद मामला दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि इतने सालों में कोई जांच नहीं हुई। वकील ने यह भी तर्क दिया कि कथित लेन-देन का मूल्य 50 लाख रुपये है, जो एक करोड़ से कम रकम है और इस तथ्य को देखते हुए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।

प्राथमिकी के अनुसार, मनसा (पंजाब) स्थित निजी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड ने एक बिचौलिए की मदद ली और कथित तौर पर समय सीमा से पहले एक परियोजना को पूरा करने के लिए चीनी नागरिकों को वीजा जारी करने के लिए 50 लाख रुपये का भुगतान किया। सीबीआई के अनुसार, "चेन्नई स्थित एक निजी व्यक्ति ने अपने करीबी सहयोगी के माध्यम से कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसे मानसा स्थित निजी कंपनी ने भुगतान किया था।"

सीबीआई का आरोप है कि उक्त रिश्वत का भुगतान मानसा स्थित निजी कंपनी से चेन्नई के उक्त निजी व्यक्ति और उसके करीबी सहयोगी को मुंबई की एक कंपनी के माध्यम से कंसल्टेंसी के लिए उठाए गए झूठे चालान के भुगतान के रूप में किया गया था।

हाल ही में सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा था, "मानसा स्थित निजी फर्म 1,980 मेगावाट ताप विद्युत संयंत्र (थर्मल पावर प्लांट) स्थापित करने की प्रक्रिया में थी और संयंत्र की स्थापना एक चीनी कंपनी को आउटसोर्स की गई थी।" यह भी आरोप लगाया गया है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कथित तौर पर नियमों की धज्जियां उड़ाकर चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने में मदद की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे और शिवगंगा से लोकसभा सदस्य कार्ति चिदंबरम ने सभी आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने 'एक भी चीनी नागरिक को सुविधा नहीं दी' और मामला फर्जी है।

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