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आज से शुरू हुआ एक माह तक चलने वाला कार्तिक स्नान, जानिए क्या है महत्व

 

जयपुर: हिन्दी पंचाग का सबसे पवित्र कार्तिक मास आज से शुरू होने के साथ ही कार्तिक स्नान भी शुरू हो गया है, जो 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा तक रहेंगे। इसके साथ ही एक माह तक दान-पुण्य का दौर शुरू हो जाएगा और त्योहारों की झड़ी लग जाएगी। आज सुबह महिलाओं ने ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तारों की छांव में स्नान कर मंदिर में ठाकुरजी के दर्शन किए और दीपदान कर तुलसी की परिक्रमा की।

व्रतधारी महिलाओं ने तुलसीथाण के पास बैठकर कार्तिक माहत्म्य की कथा सुनी। इस दौरान गली, मोहल्लों, मंदिरों में भजन-कीर्तन का दौर चला। हालांकि भगवान विष्णु की आराधना का मास कार्तिक एक नवंबर से शुरू होगा। कार्तिक मास में कोरोना काल के चलते इस बार शहर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर दर्शनार्थियों के लिए बंद रहेगा। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक में कुएं या नदी पर स्नान करने से गंगा स्नान के समान पुण्य मिलता है।

शरद पूर्णिमा पर सजी महारास झांकी

आराध्य गोविन्ददेवजी मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर शनिवार को शरद पूर्णिमा उत्सव मनाया गया। शरद पूर्णिमा पर गोविंददेवजी के विशेष झांकी के दर्शन ​हुए। ठाकुरजी को खीर और खीरसा भोग लगाया गया। ठाकुरजी के समक्ष खाट सजाई गई। जिस पर सतरंज लगाई गई। खीर का वितरण आम दर्शनार्थियों में नहीं हो पाया। इसके अलावा मंदिर में शनिवार से झांकियों के समय में परिवर्तन किया गया और सभी झांकियों का भक्त ऑनलाइन दर्शन करेंगे। इधर पानों का दरीबा स्थित सरस निकुंज में शरद पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया।

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अलबेली माधुरी शरण महाराज के सानिध्य में ठाकुरश्रीजी को महारास झांकी के दर्शन हुए। ठाकुरजी को धवल पोशाक धारण करवाकर खीर का भोग लगाया गया। रामगंज बाजार स्थित मंदिरश्री लाड़लीजी में शरद पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया। इस मौके पर ठाकुरजी को श्वेत पोशाक, कटकाछनी, मोर मुकुट, बंधी धारण करवाई गई। इस मौके पर गोस्वामी वंशी अलि पद गायन के दौरान रास पंचाध्यायी का संगीतमय गायन किया गया। गोनेर स्थित लक्ष्मीजगदीश मंदिर में शरदोत्सव मनाया गया। ठाकुरजी को धवल पोशाक धारण करवाकर मंदिर के गर्भगृह के बाहर धवल चांदनी में विराजित कर खीर का भोग अर्पित किया गया।