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Karnataka : हिजाब के बाद ईदगाह मैदान में गणेशोत्सव की तैयारी पर छिड़ा विवाद, BJP नेता ने कही ये बात

बेंगलुरुः कर्नाटक में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। राजनीतिक हत्याओं की तीन घटनाओं का मामला अभी थमा भी नहीं था कि अब बेंगलुरू के चामराजपेट ईदगाह मैदान का विवाद भड़क गया है। ईदगाह मैदान में हिन्दूवादी संगठन इस महीने के अंत में गणेशोत्सव मनाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन वक्फ बोर्ड और मुस्लिम समुदाय का दावा है कि ये जमीन वक्फ बोर्ड की है।

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वहीं बुधवार को ईदगाह मैदान लेकर फिर विवाद सामने आया है। दरअसल भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि ने कहा कि अगर गणेश उत्सव मैदान में नहीं मनाया जा सकता है, तो वहां नमाज अदा करने की अनुमति देने पर भी सवाल उठाया जाएगा। भाजपा विधायक रवि ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि ईदगाह मैदान राजस्व विभाग का है और जमीन से जुड़े फैसले उसे लेने होंगे।उन्होंने दावा किया कि गणेश उत्सव का उत्सव ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू हुआ था।

रवि ने कहा, "जब ईदगाह मैदान के परिसर में गणेश प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो यह अधिकारों का मामला बन जाएगा। राजस्व विभाग को अनुमति देने पर विचार करना होगा। और मैं कहूंगा कि अनुमति दी जानी चाहिए।" रवि ने कहा, "मैं अधिकारियों से गणेश उत्सव के लिए अनुमति देने का अनुरोध करता हूं। अगर इसे अस्वीकार कर दिया जाता है, तो सवाल उठाए जाएंगे कि लोगों को वहां नमाज अदा करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है? अगर नमाज की अनुमति है, तो गणेश उत्सव की भी अनुमति दी जानी चाहिए।"

पूरे देश में 31 अगस्त से गणेश उत्सव मनाया जाएगा। विवादित स्थल बन चुके ईदगाह मैदान के परिसर में हिंदू संगठन त्योहार मनाने की तैयारी कर रहे हैं।कांग्रेस विधायक जमीर अहमद खान ने कहा था कि ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव मनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

ये है पूरा मामला

बाता दें कि हाल ही में ईदगाह मैदान के स्वामित्व विवाद को समाप्त करते हुए, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के संयुक्त आयुक्त (पश्चिम) ने एक आदेश पारित किया है जिसमें घोषणा की गई है कि संपत्ति को कर्नाटक राजस्व विभाग के स्वामित्व में लाया जाएगा। खबरों के अनुसार सूत्रों के मुताबिक वक्फ बोर्ड ने बीबीएमपी से 21 जून को गजट नोटिफिकेशन के आधार पर संपत्ति के लिए खाता उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था। जिसे नामंजूर करते हुए आदेश में कहा गया था कि बोर्ड के सदस्यों ने केवल उच्चतम न्यायालय के आदेश प्रस्तुत किए, जो पर्याप्त नहीं होंगे।

यह इंगित करते हुए कि 1964 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने केवल मुस्लिम समुदाय को सामूहिक अधिकार दिए, इसने स्वामित्व अधिकार नहीं दिए और चूंकि बोर्ड स्वामित्व स्थापित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज प्रदान करने में विफल रहा, इसलिए बीबीएमपी ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस प्रकार वक्फ बोर्ड और मुस्लिम समुदाय के दावे को दरकिनार कर इस पर बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने इस संपत्ति को कर्नाटक राजस्व विभाग के स्वामित्व में लाने का निर्णय लिया, तब से यह विवाद और ज्यादा बढ़ गया है।

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