New Delhi : जस्टिस संजीव खन्ना को सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ दिलाई। 65 साल की उम्र में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) गत 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश के पद के लिए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की गई।
बता दें, 14 मई 1960 को जन्मे जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjeev Khanna) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ कैंपस से कानून की पढ़ाई की है। वह दिल्ली हाईकोर्ट के जज के पद पर भी रहे। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।
कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रह चुके हैं संजीव खन्ना
वहीं अगर उनके विधिक सफर की बात करें, तो वह कई ऐतिहासिक फैसलों का अहम हिस्सा रह चुके हैं, जिसमें प्रमुख रूप से ईवीएम की पवित्रता का मामला, अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का मामला, चुनावी बॉन्ड की योजना को खत्म करने का मामला और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का मामला शामिल है।
18 जनवरी 2019 को SC के जज बने थे Justice Sanjeev Khanna
गौरतलब है कि, जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjeev Khanna) इन मामलों के संबंध में सुनाए गए फैसलों का अहम हिस्सा रह चुके हैं। जस्टिस संजीव खन्ना को 18 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। बता दें, दिल्ली के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस देव राज खन्ना के बेटे और सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख पूर्व जज एच आर खन्ना के भतीजे हैं।
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बता दें, जस्टिस संजीव खन्ना (Sanjeev Khanna) का कार्यकाल 13 मई 2025 तक यानी की कुल 6 महीने का होगा। सुप्रीम कोर्ट में 18 जनवरी 2019 को जज के रूप में शपथ लेने के बाद वह 456 पीठ का हिस्सा रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने 117 फैसले भी लिखे हैं।