राज्य में अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पद से अपने दिग्गज नेता नाना पटोले को हटा कर उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया है। नाना पटोले के अध्यक्ष पद से हटने के बाद नया विधानसभा अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर चर्चाएं तो चल ही रही है, साथ ही यह भी चर्चाएं खूब हो रही हैं कि नया उप मुख्यमंत्री कौन होगा। कांग्रेस ने उपमुख्यमंत्री पद पर दावा किया है और इसके बाद से ही राज्य की महाविकास अघाडी सरकार में राजस्व मंत्री तथा पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बाला साहेब को उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है।
कुछ लोग ऐसा भी तर्क दे रहे हैं कि कांग्रेस नाना पटोले को प्रदेशाध्यक्ष बनाने के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री भी बना सकते हैं। सवाल यह नहीं कि नया उपमुख्यमंत्री कौन होगा, सवाल यह है कि क्या अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद आसानी से छोड़ने के लिए तैयार होंगे। अजित पवार को नाराज करके राकांपा सुप्रीमो शरद पवार भी अपना कदम आगे नहीं बढ़ा सकते। शरद पवार इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि अजित पवार को नाराज करने का मतलब क्या होता है, इसीलिए जब नाना पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और यह बात सामने आई कि विधानसभा अध्यक्ष पद शिवसेना के पास जाएगा तो शरद पवार ने बिना समय गंवाए यह साफ कर दिया कि विधानसभा अध्यक्ष पद किसी पार्टी विशेष के लिए नहीं रखा जाएगा। शरद पवार के इस बयान के पीछे बहुत कुछ छिपा हुआ है। शरद पवार यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर महाविकास अघाडी की सरकार अच्छी तरह से चलानी है तो अजित पवार को सम्मानजनक पद देना ही पड़ेगा। अगर नाना पटोले, बालासाहेब थोरात में से एक को उपमुख्यमंत्री बनाया गया तो फिर अजित पवार को कौन सी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। क्या अजित पवार को गृहमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी या अजित पवार को जयंत पाटिल के स्थान पर राकांपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाएगा या फिर यह भी संभव है कि अजित पवार को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया जाए।
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अजित पवार में इतनी क्षमता है कि वे विधानसभा अध्यक्ष, प्रदेशाध्यक्ष या गृहमंत्री इन तीनों पद पर काम कर सकते हैं। अजित पवार को इन पदों से नीचे रख पाना भी संभव नहीं है, ऐसे में इस बात के आसार बहुत कम हैं कि अजित पवार को हटाकर उनके स्थान पर नाना पटोले को राज्य के उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजित किया जाए। अगर नाना पटोले उप मुख्यमंत्री पद के लिए अड़े ही रहे तो उस स्थिति में अजित पवार को राकांपा प्रदेशाध्यक्ष या फिर विधानसभा अध्यक्ष पद पर बैठाना ही होगा। चूंकि कांग्रेस ने राज्य में राकांपा की बढ़ती ताकत को ध्यान में रखते हुए नाना पटोले को विधानसभा अध्यक्ष पद से हटाकर महाराष्ट्र कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया है। ऐसी स्थिति में राकांपा की चाहत भी यही होगी कि वह नाना पटोले को राकांपा पर हावी न होने दे। कांग्रेस ने बाला साहेब थोरात को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इसीलिए हटाया क्योंकि वे अपनी बात ठीक ढ़ंग से नहीं रख पाते थे। इसीलिए कांग्रेस ने नाना पटोले जैसे तेज-तर्रार नेता को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी सौंप दी। नाना पटोले का मुकाबला करने के लिए उन्हीं की तरह का तेज-तर्रार नेता राकांपा को भी लाना होगा। नाना पटोले के सामने जयंत पाटिल जैसा नेता सदैव सौम्य ही रहेगा, जैसा अब तक होता आया है। वैसे देखा जाए तो कांग्रेस के बाला साहेब थोरात तथा राकांपा के जयंत पाटिल एक ही स्वभाव वाले नेता हैं, ऐसे में अगर कांग्रेस ने अपना प्रदेशाध्यक्ष बदला है तो बहुत संभव है कि राकांपा भी अपना प्रदेशाध्यक्ष बदले। जहां तक भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चद्रकांत पाटिल का सवाल है, वे भी नाना पटोले के मुकाबले नहीं खड़े हो सकते, ऐसी स्थिति में कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष राकांपा तथा भाजपा दोनों के मुकाबले बीस ही पड़ेगा। नाना पटोले- जयंत पाटिल तथा चंद्रकांत पाटिल की त्रिवेणी में सबसे तेज धार नाना पटोले की ही होगी। विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता के रूप में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की धार भी कम नहीं है।
देवेंद्र फडणवीस नाना पटोले और अजित पवार के मुकाबले में खड़े हो सकते हैं। कांग्रेस ने खुद को मजबूत करने के लिए नाना पटोले को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर अपना पासा खेल दिया है, अब राकांपा की बारी है। राकांपा का राज्य में अब तक एक बार भी मुख्यमंत्री नहीं बना है, ऐसे में राकांपा की कोशिश यही होगी कि कांग्रेस राकांपा से किसी भी तरह आगे न निकल पाए। प्रफुल्ल पटेल जैसे नेता को लोकसभा चुनाव में परास्त करने वाले तथा नितिन गडकरी जैसे कद्दावर नेता को नागपुर संसदीय सीट से कड़ी टक्कर देने वाले नाना पटोले को टक्कर देने की क्षमता भाजपा की ओर से देवेंद्र फडणवीस तथा राकांपा की ओर से अजित पवार में है, ऐसे में बहुत संभव है कि कांग्रेस के बाद अब राकांपा में भी प्रदेशाध्यक्ष बदला जाए। अगर कांग्रेस ने उप मुख्यमंत्री पद की जिद की तो राकांपा की ओर से विधानसभा अध्यक्ष पद की मांग की जाएगी और उस पद पर अजित पवार या फिर दिलीप वलसे पाटिल जैसे किसी तेज तर्रार नेता को आसीन किया जा सकता है। राकांपा के वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटिल वर्तमान में राकांपा परिवार संवाद रैली में व्यस्त हैं। उनका कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष पद पर शिवसेना-कांग्रेस के नेताओं से चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा। अगर कांग्रेस ने उप मुख्यमंत्री पद मांगा तो राकांपा की ओर से निश्चित रूप से विधानसभा अध्यक्ष पद की मांग होगी, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष पद पर शिवसेना की ओर से दावा किए जाने की संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आती। महाराष्ट्र में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद पर किसी तेरतर्रार नेता की नियुक्ति के प्रयास दो माह पहले से ही चल रहे थे और इस प्रयास को 5 फरवरी को पूर्णता मिली, जब नाना पटोले ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी थाम ली। विधानसभा के अध्यक्ष नाना पटोले को प्रदेशाध्यक्ष पद की कमान सौंपने का निर्णय कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने लिया है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से प्रदेशाध्यक्ष पद पर किए गए बदलाव के बाद जहां एक ओर राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार के मंत्रिमंडल में कुछ बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि राकांपा प्रदेशाध्यक्ष पद पर राकांपा के किसी कद्दावर नेता की नियुक्ति हो सकती है।
राकांपा के तेज-तर्रार नेताओं में सबसे पहला नंबर अजित पवार का ही है। राकांपा सुप्रीमो शरद पवार को भी इस बात की जानकारी है कि अजित पवार के बगैर राकांपा मजबूत ही नहीं रह सकती, इसीलिए तो राकांपा के खिलाफ बगावत करने के बावजूद अजित पवार को न केवल महाविकास अघाडी की सरकार में स्थान दिया गया, बल्कि उप मुख्यमंत्री पद बहुत दिनों तक उनके लिए रिक्त रखा गया था, ऐसे में अजित पवार से उप मुख्यमंत्री पद वापस लेना संभव नहीं है और अगर लिया भी गया तो उन्हें विधानसभा अध्यक्ष, प्रदेशाध्यक्ष या गृह मंत्री में से कोई एक पद राकांपा सुप्रीमो को देना ही होगा। विधानसभा अध्यक्ष पद शिवसेना तथा उपमुख्यमंत्री पद काँग्रेस को दिया जाएगा। ऐसी चर्चाएं इन दिनों जारी हैं, लेकिन अगर अजित पवार ने अपनी शर्तों पर उप मुख्यमंत्री पद छोड़ने की बात कही तो उसे राकांपा सुप्रीमो शरद पवार को भी स्वीकार करना होगा, क्योंकि शरद पवार को भी यह बात अच्छी तरह से पता है कि अजित पवार की नाराजगी के मायने क्या होते हैं।
सुधीर जोशी (महाराष्ट्र)