नई दिल्लीः फैटी लीवर, लीवर से जुड़ी एक समस्या है, जिसमें लीवर में फैट यानी चर्बी जमा हो जाती है। फैटी लीवर से पीड़ित लोग शुरुआत में इस बीमारी को पहचान नहीं पाते हैं, क्योंकि इसके लक्षण बेहद सामान्य होते हैं। लेकिन, अगर इन छोटे-छोटे लक्षणों को नहीं पहचाना गया, तो ये बाद में गंभीर समस्या का कारण बन सकते हैं। खुद के प्रति लापरवाही बरतने पर यही बीमारी बाद में लीवर फेल्योर, सिरोसिस और कैंसर का कारण भी बन सकता है। भागमभाग वाली अनियमित दिनचर्या और जंक फूड के अधिक सेवन से आजकल लोगों का लीवर फैटी हो रहा है।
लीवर यानी यकृत हमारे खून से हानिकारक पदार्थों को फिल्टर करता है। हम जो भी भोजन करते हैं उससे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और मिनरल्स जैसे पोषक तत्वों को प्रोसेस करने का काम लीवर ही करता है। जब हम फास्ट-फूड, तला हुआ भोजन अधिक करते हैं तो वह लीवर पर अटैक करता है। उसे सही से काम करने से रोकने लगता है। आगे चलकर यही फैटी लीवर का कारण बन जाता है। लीवर की कोशिकाओं में अनावश्यक वसा का जमना ही फैटी लीवर होता है। इससे लीवर को स्थायी नुकसान हो सकता है। मुख्य रूप से यह दो प्रकार का होता है। पहला नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर और दूसरा अल्कोहलिक फैटी लीवर।
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क्या है फैटी लीवर के संकेत -
शुरू में इस बीमारी का आमतौर पर कोई संकेत नहीं होता है। इसलिए इस रोग का पता काफी देर से चलता है। इन लक्षणों के होने पर फैटी लिवर होने की आशंका हो सकती है-थकान होना, वजन घटना, भूख न लगना, पेट के उपरी हिस्से या बीच में दर्द होना इसके लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस यानी नैश और सिरोसिस होने पर हथेलियों का लाल होना, पेट में सूजन, त्वचा की सतह के नीचे बढ़ी हुए रक्त वाहिकाएं और त्वचा व आंखों का पीला होना आदि लक्षण दिख सकता है।
बचाव कैसे करें -
अल्कोहल का सेवन बंद करना चाहिए, कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखना चाहिए, चीनी का सेवन कम करें, वजन व ब्लड सुगर को नियंत्रित करें, ज्यादा तलीभुनी-वसायुक्त भोजन से परहेज करें, रोज कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें, खाने में ज्यादातर ताजा फल, सब्जियां लें।
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