Kolkata doctor rape-murder case: पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की चल रही हड़ताल आज शुक्रवार को कम हो सकती है। गुरुवार देर रात तक चली आम सभा की बैठक में इसके संकेत मिले। गुरुवार देर रात तक आर.जी. कर अस्पताल (R G Kar Medical College) में जूनियर डॉक्टरों और वरिष्ठ डॉक्टरों के बीच अहम बैठक हुई, जिसमें हड़ताल पर चर्चा हुई। वरिष्ठ डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि जूनियर डॉक्टरों को पूरी तरह हड़ताल के अलावा किसी और तरीके से अपना विरोध जारी रखना चाहिए।
कानूनी कार्रवाई का भी करना पड़ सकता है सामना
कुछ डॉक्टरों ने आंशिक हड़ताल का भी प्रस्ताव दिया है। इस पर विचार करने के लिए जूनियर डॉक्टरों ने अपनी जी.बी. बैठक की। यह चर्चा सिर्फ आर.जी. कर अस्पताल तक सीमित नहीं थी, बल्कि गुरुवार रात को अन्य सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ जी.बी. की अलग से बैठक भी हुई। इस पर चर्चा हुई कि दुर्गा पूजा के दौरान जब बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों में आते हैं, तो सेवाएं न मिलने के कारण डॉक्टरों के आंदोलन के प्रति लोगों का समर्थन भी खत्म हो रहा है और नाराजगी भी बढ़ रही है। इसके अलावा कोर्ट ने डॉक्टरों को अपनी ड्यूटी करने का आदेश दिया है, इसके बावजूद जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं, जिसके कारण उन्हें कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट को दिया हड़ताल खत्म करने का भरोसा
जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि अनिकेत महतो ने बताया कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य हड़ताल के अलावा अन्य क्या विकल्प हो सकते हैं, इस पर चर्चा करना था। उल्लेखनीय है कि 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में आरजी कर अस्पताल के मामले की सुनवाई के दौरान जूनियर डॉक्टरों की वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि ओपीडी और आईपीडी सेवाओं में आपातकालीन सेवाएं जारी हैं। हालांकि इंदिरा जयसिंह के इस आश्वासन के कुछ ही घंटों बाद ‘पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट’ ने करीब आठ घंटे की जीबी बैठक के बाद फिर से पूर्ण हड़ताल पर जाने का फैसला किया था।
वरिष्ठ डॉक्टरों ने किया था इसका विरोध
इस घटनाक्रम ने चिकित्सा समुदाय में कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। जूनियर डॉक्टरों द्वारा उठाई गई 10 मांगों में से एक प्रमुख मांग ‘धमकी की संस्कृति’ के खिलाफ कार्रवाई करना था। हड़ताल के मुद्दे पर चर्चा के बीच उसी शाम सीबीआई ने आरजी कर अस्पताल में भ्रष्टाचार के मामले में आशीष पांडे को गिरफ्तार कर लिया, जिन पर धमकी की संस्कृति में शामिल होने का आरोप है। पहली हड़ताल के दौरान वरिष्ठ डॉक्टरों ने जूनियर डॉक्टरों का साथ दिया था और उस समय मरीज सेवाओं को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन जब दूसरी बार पूर्ण हड़ताल की घोषणा की गई तो कुछ वरिष्ठ डॉक्टरों ने इसका विरोध किया और हड़ताल के लिए अन्य विकल्प तलाशने की बात कही। उनके अनुसार हड़ताल के बिना भी विरोध जारी रखने के कई तरीके हैं।
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बैठक में वरिष्ठ डॉक्टरों ने यह भी कहा कि जूनियर डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण अस्पतालों में मरीजों की भारी संख्या को संभालना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने मरीजों के हित में हड़ताल को आंशिक रूप से समाप्त करने का सुझाव दिया।
दूसरी बार पूर्ण हड़ताल के फैसले से पहले हुई आठ घंटे की जीबी बैठक में भी कुछ जूनियर डॉक्टरों ने आपत्ति जताई थी। सूत्रों के अनुसार उस बैठक में कई डॉक्टरों ने पूर्ण हड़ताल के फैसले का समर्थन नहीं किया था और विरोध के लिए वैकल्पिक रास्ता तलाशने की मांग की थी। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जूनियर डॉक्टरों की जीबी बैठक में हुई इस चर्चा के बाद आज से हड़ताल खत्म होगी या नहीं।
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