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चीनी चंगुल में फंसकर जासूसी कर रहा था पत्रकार

नई दिल्लीः पैसे से इतनी मोहब्बत क्या हुई कि देश से गद्दारी तक कर दी। देश के जवान चीन सीमा पर 24 घंटे नजर बनाए हुए हैं और किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारी में लगे हैं। ऐसे में भी एक पत्रकार द्वारा जासूसी की खबर शर्मसार करने वाली है। दिल्ली के एक पत्रकार ने सुरक्षा संबंधी दस्तावेज जुटाए और अपने चीनी दोस्तों को सौंप दिए। जब यह मामला पकड़ में आया तो हड़कंप मच गया। आरोपी पत्रकार अब पुलिस कस्टडी में जो राज उगल रहा है, उससे पूरा देश सन्न है।

ब्रिटेन और भारत की सरकार इस बात के लिए चिंतित है कि चीन उसके देश की जासूसी करा रहा है। ऐसे खुलासे पहले भी हो चुके हैं, लेकिन चीन हमेशा इससे पल्ला झाड़ लेता है। ड्रैगन के ऐसे लोग भी पकड़े गए हैं, जो दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में फेरीवाले बनकर जासूसी कर रहे थे। तिब्बत के धर्मगुरु दलाईलामा के बारे में जानकारी जुटाने के साथ ये भारत के राष्ट्रपति भवन, मंत्रियों और महत्वपूर्ण व्यक्तियों के अलावा सैन्य ठिकानों की जानकारी ले रहे थे। इन लोगों ने तमाम प्रकार के महत्वपूर्ण दस्तावेज भी चीन को भेजे थे। इनकी जांच अभी चल ही रही थी कि एक ताजा मामला सामने आया है। इसमें अपने ही वतन का रहने वाला चालबाज अपने चीनी दोस्तों को पैसे की लालच में महत्वपूर्ण दस्तावेज सौंप रहा था।

स्वतंत्र पत्रकार राजीव दिल्ली के प्रीतमपुरा में रहता है। यहां की पुलिस स्पेशल सेल को ऐसी जानकारी मिली थी, जिसे सुनकर वह हैरान थी। सच का पता लगाने के लिए कड़ी मशक्कत तो करनी पड़ी, लेकिन बड़ी सफलता जरूर मिली। कई दिनों की जद्दोजहद के बाद जब उसके ठिकाने पर छापा डाला गया तो देश की रक्षा से जुड़े तमाम गोपनीय कागजात मिले। पुलिस को जानकारी मिली थी कि वह चीन को देश की सुरक्षा संबंधी दस्तावेज भेजता है, यह बात सच साबित हुई। इस तथाकथित पत्रकार का कनेक्शन हवाला से भी जुड़ा बताया जा रहा है। राजीव शर्मा को गिरफ्तार करने के बाद स्पेशल सेल उस पर लगे कई संगीन आरोपों की जांच में जुटी है।

चीन सरकार के लिए भी लिख लेख

डीसीपी (स्पेशल सेल) संजीव कुमार यादव खुद इस मामले की कलई खोलने में जुटे थे। कई महीनों से राजीव शर्मा पर पीतमपुरा की पुलिस नजर रख रही थी। दक्षिण-पश्चिमी रेंज से जब उसे उठाया गया तो पता चला कि राजीव शर्मा का राजीव किष्किन्धा नामक एक यूट्यूब चैनल भी हैं। इसके 11,900 सब्सक्राइबर्स हैं। चीन अभी भी शरारत कर सकता है, शीर्षक से उसने एक वीडियो भी उसी दिन डाला था। 18 सितंबर को पुलिस ने इसे पकड़ा था। इसी महीने 7 सितंबर को राजीव शर्मा ने चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स के लिए एक लेख भी लिखा था। इसमें राजीव शर्मा दोनों पक्षों को युद्ध की ओर बढ़ने के बजाय बातचीत की सलाह दे रहा था।

लेखन में माहिर रहा है राजीव

2010-2014 की अवधि के दौरान उसने ग्लोबल टाइम्स के लिए एक साप्ताहिक कालम लिखा था। यह समाचार पत्र चीनी सरकार के मुखपत्र के रूप में जाना जाता है। यह पत्रकार ऑनलाइन व्यवस्था के तहत माइकल नाम के एक खुफिया एजेंट के संपर्क में था। यह चीन की कई कान्फ्रेंस में भी गया था। इसका खर्च इसी एजेंट ने उठाया था। चीनी दलालों के संपर्क में यह धीरे-धीरे पहंुचा और फिर पैसे की लालच में यह ऐसे कारनामों को अंजाम देता रहा।

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माइकल अपने साथ जूनियर गवन को भी साथ लाने लगा। राजीव शर्मा इनका करीबी बन गया। भारत-चीन के तमाम मसलों पर जानकारी देने के लिए राजीव तैयार था। इनका संबंध लंबा चला। 2016-2018 के बीच राजीव शर्मा की दोनों दलालों के साथ अच्छी बन रही थी। ये दोनों चीनी दलालों ने एक और साथी लाओस को भी पत्रकार से मालदीव में मिला दिया था। इनकी बातचीत का माध्यम सोशल मीडिया बना था। लिखने और पढ़ने में माहिर शर्मा अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर भी लेख लिखता था।