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आतंकी संगठन TRF ने ली DG जेल की हत्या की जिम्मेदारी, कहा-गृहमंत्री दौरे पर छोटा सा तोहफा

जम्मूः जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (जेल) हेमंत कुमार लोहिया (hemant-lohia) की हत्या घाटी दहल गई है। लोहिया की हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। टीआरएफ के दावे के बाद खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। इस संगठन को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का संरक्षण प्राप्त है।

बता दें कि पुलिस महानिदेशक हेमंत कुमार की सोमवार देररात दोस्त के घर पर गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। लोहिया की हत्या इतनी बेरहमी से की गई कि शव को देखने वालों की रूह कांप गई। परिवार के मुताबिक लोहिया सोमवार रात अपनी पत्नी और नौकर यासिर के साथ दोमाना क्षेत्र के उदयवाला में रहने वाले अपने दोस्त संजीव खजूरिया के घर गए थे। कुछ समय बाद वहां पांव में दर्द होने की बात कहते हुए नौकर के साथ दूसरे कमरे में मालिश करवाने चले गए।

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इस दौरान यासिर ने उनकी हत्या कर दी और कमरे में आग लगाकर फरार हो गया। बताया गया है कि यासिर ने पहले उनका गला दबाया। इसके बाद केचअप की टूटी बोतल से गला रेता। यासिर छह महीने से उनके घर पर काम कर रहा था। वह रामबन का रहने वाला है। ज्यादा समय गुजर जाने पर पत्नी और राजीव खजूरिया का परिवार उस कमरे में गया तो वहां खून से सना हेमंत कुमार लोहिया का शव पड़ा था। इन लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यासिर की तलाश की जा रही है। सुरक्षाबल भी उसे तलाश रहे हैं।

कश्मीर में सक्रिय इस आतंकवादी संगठन ने जम्मू के उदयवाला में डीजी जेल की उसके दोस्त के घर में हत्या करने का दावा करते हुए कहा कि इस हमले को अंजाम देकर उन्होंने यह दिखा दिया है कि वे जब चाहें, जहां चाहें हमला कर सकते हैं। उसने आगे लिखा कि जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे पर आए गृहमंत्री अमित शाह को इतनी सख्त सुरक्षा के बावजूद यह छोटा सा तोहफा है।

TRF के पीछे ISI

आतंकी संगठन टीआरएफ की कहानी 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ ही शुरू होती है। हालांकि इस हमले से पहले ही इस संगठन ने घाटी में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। इसे पाकिस्तान समर्थित कुछ आतंकी संगठनों के साथ खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी साथ मिला है। पांच अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया, वैसे ही यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया। टीआरएफ के पनपने की असल कहानी पाकिस्तान से शुरू होती है। कश्मीर घाटी में बढ़ती आतंकी घटनाओं के साथ-साथ पाकिस्तान का छुपा चेहरा दुनिया के सामने आने लगा था। धीरे-धीरे पाकिस्तान पर अपने यहां पनप रहे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा।

पाकिस्तान समझ चुका था कि उसे अब लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों पर कुछ कार्रवाई करनी ही होगी, लेकिन उसे यह भी डर था कि इससे कश्मीर में उसकी जमीन खिसक सकती है। ऐसे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर-ए तैयबा ने मिलककर नए आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ की नींव रखी। टीआरएफ को फाइनेंसिशयल एक्शन टास्क फोर्स की कार्रवाई से बचने के लिए बनाया गया था। दरअसल, फोर्स ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में रखा था। इसके साथ ही उस पर कई प्रतिबंध भी लगाने शुरू कर दिए थे। इस रणनीति से बचने के लिए टीआरएफ अस्तित्व में आया। इसका मकसद घाटी में 1990 वाला दौर वापस लाना है।

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