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जम्मू-कश्मीर से Article 370 हटने की चौथी बरसी, चार सालों में 2,156 बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दायर की गई

Article 370 from Jammu and Kashmir नई दिल्लीः लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्रालय ने संसद सदस्यों द्वारा उठाए गए कई सवालों का जवाब दिया, जिसमें अनुच्छेद 370 ( Article 370) के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं की संख्या और देश भर के कानून स्कूलों में उपलब्ध सीटों की कुल संख्या शामिल है। अनंतनाग लोकसभा सांसद हसनैन मसूदी ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं के बारे में जानकारी मांगी थी। मंत्रालय ने खुलासा किया कि अगस्त से 2019 से जून 2023 तक जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट और उच्चतम न्यायालय में कुल 2,165 ऐसी याचिकाएं दायर की गईं।

नजरबंदी आदेशों चुनौती देने वाली याचिकाओं का किया गया निपटारा

सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत नजरबंदी आदेशों को चुनौती देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं के निपटान में देरी के बारे में चिंताओं का जवाब देते हुए, मंत्रालय ने कहा कि समय पर सुनवाई और कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं। हैं। सरकार ने कहा, हिरासत में लेने वाले अधिकारी अपनी दलीलें दाखिल करते हैं और सुनवाई की तारीख पर वकीलों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के अलावा अदालतों को समय पर रिकॉर्ड उपलब्ध कराते हैं। अदालतों द्वारा ऐसी याचिकाओं का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करने के लिए, जहां भी आवश्यक हो, अन्य सभी आवश्यक कदम समयबद्ध तरीके से उठाए जा रहे हैं। मछलीशहर लोकसभा सांसद बीपी सरोज ने लॉ कॉलेजों में उपलब्ध सीटों की संख्या की जानकारी मांगी थी। इस पर सरकार ने कहा, विभिन्न लॉ स्कूलों में कुल 3,09,656 सीटें हैं। इनमें से 71,140 सीटें पांच वर्षीय एलएलबी के लिए हैं। तीन वर्षीय एलएलबी के लिए 2,11,763 सीटें और एलएलएम के लिए 26,753 सीटें हैं।

311 नए कानून विश्वविद्यालय और कॉलेज स्थापित किए गए 

मंत्रालय ने यह भी कहा कि जनवरी 2019 से 2022 तक 311 नए कानून विश्वविद्यालय और कॉलेज स्थापित किए गए हैं, जिनमें से एक बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा और असम जैसे राज्यों में है। सांसद शारदाबेन पटेल और रमेशभाई पटेल ने 50 वर्षों से अधिक समय से अदालतों में लंबित मामलों के बारे में विवरण मांगा। मंत्रालय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की एकीकृत केस प्रबंधन सूचना प्रणाली के आधार पर, शीर्ष अदालत के समक्ष ऐसा कोई मामला लंबित नहीं है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)