रांची: इस साल लगता है मानसून झारखंड से रूठा हुआ है। देश का ज्यादातर हिस्सा जलमग्न है और राज्य की प्यास नहीं बुझ पाई है। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, इस मानसून में अब तक राज्य में सामान्य से 41 फीसदी कम बारिश हुई है। राजधानी रांची में 44 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गयी है। मानसूनी बारिश के लिहाज से जुलाई अब तक झारखंड के लिए सबसे खराब रहा है। इस दौरान सामान्य से 75 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। यही हाल रहा तो रांची के तीनों डैम का दम फूलने लगेगा।
मॉनसून की बेवफाई का असर राजधानी के हटिया डैम, कांके डैम और रूक्का डैम के जलस्तर पर पड़ा है। अभी तक स्थिति चिंताजनक नहीं हुई है, लेकिन पिछले साल की अच्छी मानसूनी बारिश से जमा हुए पानी से यह आसन्न संकट का संकेत दे रहा है। अगर मॉनसून रूठा रहा तो रांचीवासियों को पानी की कमी से जूझना पड़ सकता है।
रांची के सबसे बड़े इलाके को पेयजल आपूर्ति करने वाला रुक्का डैम हांफने लगा है। इसमें पीने के पानी के लिए मात्र तीन फीट पानी बचा है। पेयजल आपूर्ति विभाग के अधिकारी राधेश्याम रवि ने बताया कि रुक्का डैम में उपयोग योग्य पानी समुद्र तल से 1914 फीट ऊपर है। अभी जलस्तर 1917 फीट है। यानि कि केवल तीन फीट पानी ही उपयोग के लिए बचा है। यह अगले कुछ महीनों के लिए काफी है। रूक्का बांध शहरी आबादी को प्रतिदिन 180 एमएलडी पानी की आपूर्ति करता है।
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राजधानी के हटिया डैम में भी पानी सामान्य जलस्तर से तीन से चार फीट कम है. पिछले साल के मानसून की बदौलत फिलहाल इसमें 26 फीट पानी है। इस बाँध से प्रतिदिन बहुत सीमित क्षेत्र में जलापूर्ति (08-10 एमएलडी) की जाती है। कांके डैम में सिर्फ 15 फीट पानी बचा है। फिलहाल जलस्तर समुद्र तल से 2115 फीट ऊपर है, जबकि इस समय तक जलस्तर 2120 फीट तक रहना चाहिए था। प्रतिदिन 20 एमएलडी पानी सप्लाई करने वाले इस बांध में अभी सामान्य से पांच फीट कम पानी है।
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