Jharkhand: अनुपूरक बजट में कटौती प्रस्ताव पर हुई चर्चा, भाजपा विधायक रहे नदारद

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Jharkhand Assembly Winter Session: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को भोजनावकाश के बाद विधानसभा की कार्यवाही में अनुपूरक बजट में कटौती के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। वहीं, इस दौरान बीजेपी के सभी विधायक सदन से नदारद रहे।

आजसू पार्टी के गोमिया विधायक लंबोदर महतो ने बजट कटौती प्रस्ताव का समर्थन किया और कहा कि पहले सरकार को यह बताना चाहिए कि इसे लाने की जरूरत क्यों पड़ी? सरकार मूल बजट खर्च नहीं कर पा रही है और अब तक दो बार अनुपूरक बजट लाया जा चुका है। आख़िर ऐसी कौन सी परिस्थिति थी कि सरकार ऐसा कर रही है? इस साल का आधा बजट भी खर्च नहीं हुआ है। राजस्व संग्रहण की स्थिति निराशाजनक है। लंबोदर ने कहा कि राज्य में विस्थापन आयोग के गठन की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने सदन में इसे स्वीकार भी किया है लेकिन सरकार अभी तक यह नहीं बता पाई है कि ऐसा कब होगा। कोल बियरिंग एक्ट बने 70 साल हो गए हैं। लेकिन, ट्रिब्यूनल नहीं होने के कारण विस्थापित भटक रहे हैं।

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केंद्र की भूमिका बड़े भाई जैसी हो : शिल्पी नेहा

शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि केंद्र की भूमिका बड़े भाई की तरह होनी चाहिए, लेकिन इसके विपरीत उसने खाद्य सुरक्षा कानून, आरटीआई, मनरेगा को कमजोर कर दिया है। 2019-20 में मनरेगा मजदूरों की आधी मजदूरी भी समय पर नहीं मिली। मनरेगा और पीएम आवास में कटौती से यहां के कमजोर वर्ग के लोगों को नुकसान हुआ है।

प्रदीप यादव ने बीजेपी सरकार और उसके कार्यकाल पर भी हमला बोला। सरयू राय ने कहा कि पिछले चार वर्षों में जिन योजनाओं पर पैसा खर्च किया गया, उनकी वास्तविक स्थिति भी देखनी चाहिए। इसके लिए आवश्यक जनशक्ति की उपलब्धता भी देखें। सदन में जो भी प्रश्न आते हैं, उनका व्यापक उत्तर दिया जाता है। यह भी देख लेना चाहिए।

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