जानकी विवाह महोत्सव: अयोध्या से मिथिला आएंगे श्रीराम, तेज हुईं तैयारियां

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Janaki Vivah Mahotsav, बेगूसरायः सांस्कृतिक विशिष्टताओं और लोक कला की भूमि मिथिला के घर-घर में मैथिली विवाह गीत गूंजने लगे हैं। यह तैयारी अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन होने वाले जानकी विवाह महोत्सव को लेकर की जा रही है। इस साल दिसंबर में राम जानकी विवाह महोत्सव होना है। मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम और मिथिला की पुत्री माता जानकी के विवाह के इस शुभ अवसर की तैयारियां बहुत तेजी से चल रही हैं।

वैदिक रीति-रिवाजों से मनाया जाता है विवाह उत्सव

यह भले ही सीता और राम के विवाह का दिन है, लेकिन मिथिला में लोग राम विवाह नहीं बल्कि जानकी विवाह महोत्सव मनाते हैं और पूरे देश में मिथिला क्षेत्र में केवल दो ही स्थान हैं, एक जनकपुर और दूसरा बीहट बेगूसराय, जहां वैदिक रीति-रिवाज और संकीर्तन के साथ-साथ विवाह उत्सव मनाया जाता है। दोनों स्थानों पर इस उत्सव में भाग लेने के लिए न केवल दूर-दूर से लोग आते हैं, बल्कि मिथिला के पाहुन (दामाद) श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण के अवतार भी अयोध्या से आते हैं।

मिथिला के प्रवेश द्वार बीहट स्थित विश्वनाथ मंदिर में विवाह पंचमी की तैयारियां तेज हो गई हैं। 15 दिसंबर को देव आमंत्रण, मंडपाच्छादन एवं जागरण तथा 16 दिसंबर को मटकोर अनुष्ठान एवं भातृभोज होगा। 17 दिसंबर को सुबह हल्दी, दोपहर में नहचू और शाम को बरात नगर भ्रमण के बाद रात में वैदिक रीति-रिवाज से शादी होगी। पांच दिवसीय महोत्सव का समापन 18 दिसंबर को शाम को रामकलेवा (56 भोग ज्योनार) एवं संगीत समारोह तथा 19 दिसंबर को रात्रि में संगीत एवं चौथ चौथरी के साथ होगा।

मिथिला परंपरा के अनुसार निभाई जाती हैं रस्में

सबसे बड़ी बात यह है कि यहां न सिर्फ विवाह उत्सव मनाया जाता है, बल्कि बिहट के विश्वनाथ मंदिर में बेटी की शादी की तरह मिथिला परंपरा के अनुसार सभी रस्में निभाई जाती हैं, जो वैष्णव माधुर्य भक्ति का प्रतीक है। मिथिलांचल की बेटियां अवध (अयोध्या) से आए श्रीराम रूपी दूल्हे के साथ हंसी-ठिठोली करती हैं और विवाह की रस्म पूरी होने के बाद उन्हें दामाद की तरह सम्मान के साथ अवधपुरी अयोध्या के लिए विदा करती हैं।

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विवाह महोत्सव में राजा जनक की भूमिका निभाने वाले विश्वनाथ मंदिर के पीठासीन आचार्य राजकिशोर उपाध्याय ने कहा कि लोकपर्व और लोकपर्व की जागृत परंपरा के वाहक श्री राम जानकी मिथिला के घर-घर में पूजे जाते हैं। विश्वनाथ मंदिर में प्रतिदिन रामार्चन के माध्यम से अनुष्ठान किया जाता है। प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान श्री राम का विवाह उत्सव मनाया जाता है। लेकिन हर वर्ष अगहन शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्रीजानकी विवाह महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

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