Saturday, January 18, 2025
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Ayodhya: अयोध्या के इस गांव से जुड़ी हैं राजा जनक की यादें, आज भी मौजूद है प्राचीन मंदिर

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अयोध्या (Ayodhya): धार्मिक ग्रंथों से लेकर अयोध्या और मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम के बारे में इतिहास को समझने, कुछ किताबें पढ़ने और संत महात्माओं से मिलने से हर दिन नई जानकारी मिल रही है। राम की पैड़ी पर लगातार यज्ञ अनुष्ठान करने वाले संत पंडित कल्किराम ने बताया कि ‘अगर आपको रामायण काल की कुछ घटनाओं को जानना है तो आपको ‘जनकौरा’ गांव में स्थित मंत्रकेश्वर महादेव मंदिर जाना चाहिए। वहां तुम्हें महाराजा जनक द्वारा स्थापित शिवलिंग दिखाई देगा।

पंडित कल्किराम जी ने बताया कि शहर से सटे ‘जनौरा’ स्थान का नाम त्रेता युग में ‘जनकौरा’ हुआ करता था। नाका हनुमान गढ़ी के पास स्थित जनौरा (जनकौरा) में स्थित लखौरी ईंटों (बहुत पतली ईंटों) से बना यह मंदिर काफी भव्य और मनोरम था। मंदिर के सामने स्थित झील इसकी भव्यता को और भी बढ़ा रही थी।

बालकांड में है उल्लेख

पुजारी शिव रतन सिंह ने बताया कि ‘तुलसीदास ने श्री रामचरित मानस के बालकांड में जनकौरा का भी उल्लेख किया है। जनकौरा से पहले इस स्थान का नाम जानकी नगर था। उन्होंने बताया कि ‘माता जानकी का विवाह भगवान राम से होने के बाद वह अयोध्या आ गईं। इसके बाद महाराज जनक बहुत दुखी रहने लगे। वह अयोध्या आना चाहते थे लेकिन उनके सामने समस्या थी कि सनातन धर्म में उनकी बेटी के घर पर रहना वर्जित है। इसी परंपरा का पालन करते हुए महाराजा जनक ने उचित मूल्य चुकाकर अयोध्या के राजा दशरथ से जनकौरा खरीदा और यहां आकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए एक मंदिर बनवाया।

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प्रमुख सात पीठों में शामिल है मंदिर

मंदिर के पुजारी शिवरतन सिंह ने बताया कि ‘जब त्रेता युग में अवतरित हुए भगवान राम ने धरती पर अपनी निर्धारित अवधि पूरी कर ली थी तो स्वयं कालदेव उनसे मिलने आए थे और उन्होंने इसी स्थान पर बैठकर भगवान से मंत्रणा की थी। इसके बाद इस मंदिर का नाम मंत्रकेश्वर महादेव रखा गया। पुजारी के अनुसार, राजा जनक ने इस मंदिर में शिवलिंग स्थापित करने के बजाय महादेव और मां पार्वती के स्वरूप की स्थापना की थी, इसीलिए उक्त स्वरूप अन्य शिवलिंगों से भिन्न है। मंत्रकेश्वर महादेव मंदिर भी अयोध्या के प्रमुख सात पीठों में शामिल है।

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