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लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन और आरक्षण विधेयक पारित, ST के लिए 9 सीटें आरक्षित

Lok Sabha Winter Session Lok Sabha Winter Session, नई दिल्लीः लोकसभा के शीतकालीन सत्र का आज चौथ दिन है। उच्च सदन में बुधवार को जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक पर विचार के लिए चर्चा मंगलवार को शुरू हुई, जो बुधवार को भी जारी रही। चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक उन विस्थापित लोगों को अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण देने के लिए लाया गया है जो वर्षों से अपने अधिकारों से वंचित हैं और सम्मान के लिए लड़ रहे हैं। बता दें कि जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है। अधिनियम अनुसूचित जाति जातियां, अनुसूचित जनजातियां और अन्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है।

मोदी सरकार ने 2019 अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में 45 हजार लोगों की जान गई है। इस अनुच्छेद को नरेंद्र मोदी सरकार ने 2019 में खत्म कर दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि मौजूदा विधेयकों का उद्देश्य सकारात्मक है और वह सभी से इन्हें सर्वसम्मति से पारित करने का अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के दौर में राज्य से 46 हजार 631 परिवार विस्थापित हुए। इसके अलावा पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान 41 हजार 844 परिवार विस्थापित हुए। विधेयक का उद्देश्य इन लोगों को सम्मानपूर्वक उनका अधिकार दिलाना है। इस दौरान गृह मंत्री ने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आए बदलावों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद अलगाववाद की जड़ में था, जिसे हटाने से अलगाववाद की भावना धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके कारण घाटी में आतंकवादी घटनाओं में 70 प्रतिशत, नागरिकों की मौत में 72 प्रतिशत और सशस्त्र बलों की मौत में 59 प्रतिशत की कमी आयी है। इसके अलावा पत्थरबाजी और संगठित हड़तालें भी अब नगण्य हो गई हैं। ये भी पढ़ें..Mahadev App Case: महादेव सट्टा ऐप के आरोपी के पिता का कुएं में मिला शव, हत्या की आशंका

जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटें होंगी

गृह मंत्री ने कहा कि राज्य में न्यायिक परिसीमन के बाद अब 9 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई हैं। अब जम्मू में 37 की जगह 43 और कश्मीर में 46 की जगह 47 विधानसभा सीटें होंगी। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लिए 24 सीटें आरक्षित की गई हैं। कुल सीटें 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई हैं। दो सीटें विस्थापित लोगों के लिए और दो सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों के लिए नामित की जाएंगी। अपने भाषण में गृह मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के दो फैसलों को ऐतिहासिक गलतियां बताया और उनके लिए अंग्रेजी शब्द ब्लंडर का इस्तेमाल किया। विपक्ष ने इस शब्दावली पर आपत्ति जताई और कुछ सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नेहरू ने खुद इसे अपनी गलती माना है। गृह मंत्री ने कहा कि 1947 के युद्ध के दौरान भारत द्वारा युद्धविराम की घोषणा समय से पहले की गई थी। अगर ऐसा नहीं किया गया होता तो पाक अधिकृत कश्मीर अब तक भारत में होता। साथ ही नेहरू जी को इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में नहीं ले जाना चाहिए था। अगर ऐसा किया भी जाना चाहिए था, तो इसे चार्टर 35 के बजाय 51 के तहत किया जाना चाहिए था। जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है। अधिनियम नौकरियों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों के लिए व्यावसायिक संस्थान।

जम्मू-कश्मीर में सीटों संख्या बढ़ाकर 90 हुई

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है। 2019 अधिनियम ने जम्मू और कश्मीर विधान सभा में सीटों की कुल संख्या 83 निर्दिष्ट करने के लिए 1950 अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया। इसमें छह सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं। अनुसूचित जनजाति के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं की गई। वर्तमान विधेयक में सीटों की कुल संख्या बढ़ाकर 90 कर दी गई है। इसमें अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें भी आरक्षित हैं। विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधान सभा में नामित कर सकते हैं। नामांकित सदस्यों में से एक महिला होनी चाहिए। विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधान सभा में नामित कर सकते हैं। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)