अफजल गुरु को फांसी नहीं तो क्या माला पहनाते ? उमर अब्दुल्ला के बयान पर भड़के रक्षा मंत्री

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Rajnath Singh On Omar Abdullah , श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने अपने चुनाव प्रचार अभियान को धार देने शुरू कर दी है। साथ ही नेताओं का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। इस बीच, केंद्र शासित प्रदेश में उमर अब्दुल्ला के बयान पर बीजेपी नेता और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि वह आतंकवादियों से सहानुभूति रखते हैं।

उमर अब्दुला पर भड़के राजनाथ सिंह

रविवार को जम्मू-कश्मीर के रामबन में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उमर अब्दुल्ला के बयान पर  निशाना साधते हुए उमर अब्दुल्ला से पूछा कि अगर फांसी नहीं तो क्या उन्हें माला पहनाई जानी चाहिए। दरअसल, उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि संसद भवन पर आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जानी चाहिए।

फांसी नहीं तो क्या पहनाते

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उमर अब्दुल्ला के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, “उमर अब्दुल्ला साहब कह रहे हैं कि अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जानी चाहिए थी। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि अगर अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जानी चाहिए तो क्या उन्हें सार्वजनिक रूप से माला पहनाई जानी चाहिए।”

उन्होंने कहा, “अगर यहां भी बीजेपी की सरकार बनती है तो यहां के विकास को देखकर पीओके के लोग कहेंगे कि हम पाकिस्तान में नहीं रहना चाहते। हम भारत के साथ रहना चाहते हैं। मैं एक बात फिर से कहना चाहता हूं कि हम पीओके के लोगों को अपना मानते हैं। अब सीमा पर बाड़ लगाने का काम भी पूरा हो जाएगा।”

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किसी भी कीमत पर घाटी में 370 नहीं होगी बहाल

रक्षा मंत्री ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधते हुए कहा, “पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि घाटी में सरकार बनने के बाद अनुच्छेद 370 को लागू किया जाएगा, लेकिन मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि अनुच्छेद 370 को बहाल करने की हिम्मत किसी में नहीं है। जब तक भाजपा सत्ता में है, तब तक घाटी में अनुच्छेद 370 को किसी भी कीमत पर बहाल नहीं किया जा सकता।”

उन्होंने आगे कहा, “जम्मू-कश्मीर पहले आतंकवाद के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। पहले घाटी के युवाओं के हाथ में पिस्तौल हुआ करती थी, लेकिन आज उनके हाथ में किताबें, लैपटॉप जैसी अध्ययन सामग्री है। यह बहुत बड़ा बदलाव है।”

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