Jammu Kashmir, जम्मू: जम्मू-कश्मीर पुलिस को आतंकवाद विरोधी अभियान में बड़ी सफलता मिली है। सुरक्षा बलों ने गंडोह में एक ऑपरेशन चलाया कर तीन विदेशी आतंकियों को मार गिराया। साथ ही सुरक्षा बलों ने हाल ही में घुसपैठ के पीछे मुख्य मॉड्यूल का भी पर्दाफाश किया। आतंकी गतिविधियों को रोकने और आतंकी नेटवर्क को तोड़ने के लिए किए जा रहे प्रयासों में यह एक महत्वपूर्ण प्रगति है। इस आतंकी मॉड्यूल ने डोडा, उधमपुर और कठुआ के ऊपरी इलाकों में आतंकी गतिविधियों को बढ़ा दिया था।
सुरक्षा बलों से बचने में की आतंकियों की मदद
मॉड्यूल के मास्टरमाइंड ने सीमा पार आतंकी हैंडलरों के साथ मिलकर अवैध रूप से भारत में घुसने वाले विदेशी आतंकियों को हर संभव मदद मुहैया कराई। मास्टरमाइंड ने जम्मू-कश्मीर के सांबा-कठुआ सेक्टर में आतंकियों की मदद की और उन्हें छुपाया। आतंकियों को शुरुआती शरण, भोजन और अन्य छोटी-मोटी चीजें मुहैया कराने के अलावा इसने उन्हें उधमपुर-कठुआ-डोडा जिलों के ऊपरी इलाकों तक पहुंचने में भी मदद की। इस आतंकी मॉड्यूल ने गंडोह मुठभेड़ में मारे गए तीन आतंकियों को ऊपरी इलाकों तक पहुंचने तक छुपाने और मार्गदर्शन करने में मदद की थी।
आतंकियों का मददगार लतीफ गिरफ्तार
मास्टरमाइंड की पहचान मोहम्मद लतीफ उर्फ हाजी लतीफ के रूप में हुई है। मॉड्यूल के आठ अन्य सदस्यों को दुश्मन एजेंट के रूप में हिरासत में लिया गया है। मोहम्मद लतीफ उर्फ हाजी लतीफ पुत्र स्वर्गीय मीर अम्बे नाल, जिला कठुआ का निवासी है। वह क्षेत्र में ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के नेटवर्क का मास्टरमाइंड है।
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वह क्षेत्र से गुजरने वाले आतंकवादियों के समूहों के लिए गाइड/लॉजिस्टिक्स आदि का काम करता था। मोहम्मद लतीफ के अलावा हिरासत में लिए गए लोगों में अख्तर अली पुत्र स्वर्गीय राशिद, सद्दाम, कुशाल, नूरानी पुत्र स्वर्गीय मीर, मकबूल पुत्र मोहम्मद लतीफ, लियाकत पुत्र हाजी लतीफ, कासिम दीन पुत्र शाहीन दीन और खादिम शामिल हैं। ये सभी कठुआ जिले के अलग-अलग इलाकों के रहने वाले हैं।
50 से अधिक लोगों से की गई पूछताछ
अधिकारियों ने बताया कि जानवरों को चराने के लिए ऊपरी इलाकों और पहाड़ों पर झोपड़ियों में रहने वाले 50 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई है। उनमें से ज्यादातर ने विदेशी आतंकवादियों के संपर्क में आने की बात स्वीकार की है। उन्होंने आतंकियों को भोजन, आश्रय या संचार सहायता प्रदान करने की बात स्वीकार की है। कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना नहीं दी और कुछ ने आतंकियों से पैसे भी लिए हैं। जिन लोगों ने समय पर पुलिस को सूचना दी है, उन्हें निर्दोष माना जा रहा है। जबकि अन्य की जांच की जा रही है।