Wednesday, January 1, 2025
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यरवदा जेल में क्रांतिवीरों की शौर्यगाथा जान सकेंगे लोग, सीएम ने किया जेल पर्यटन का उद्घाटन

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पुणे: महाराष्ट्र सरकार ने अनूठी पहल करते हुए जेल टूरिज्म की शुरुआत की है। इसके लिए मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री ने हाल ही में वर्चुअल पद्धति से पुणे की ऐतिहासिक यरवदा केंद्रीय जेल में जेल पर्यटन का उद्घाटन किया है।

गृह विभाग द्वारा जेल टूरिज्म की शुरुआत करने की मंशा यह है कि राज्य के स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और शैक्षणिक प्रतिष्ठान के अलावा पंजीकृत स्वयंसेवी संगठन के कार्यकर्ता ऐतिहासिक स्थानों का दौरा करें। विद्यार्थी व शैक्षणिक प्रतिष्ठानों, गैर सरकारी संगठनों के लोग यरवदा जेल में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की ऐतिहासिक घटनाओं को देखें। इसके लिए विभाग पूरी तैयारी से जुट चुका है।

दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी यरवदा जेल –

यरवदा सेंट्रल जेल दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जेलों में से एक है। 60 एकड़ क्षेत्र में फैली इस जेल में एक समय में एक साथ 5 हजार कैदियों को रखा जा सकता है। इस जेल का निर्माण 1871 में करवाया गया और यह देश में सबसे सुरक्षित जेल मानी जाती है। यह जेल देश की कई ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ी है। इन महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानने के लिए विद्यार्थी और आम जनता जेल का दौरा कर सकेंगे।

स्वतंत्रता सेनानियों की रही है यह जेल –

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सर्वप्रमुख नेताओं लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, सरोजिनी नायडू , सुभाष चंद्र बोस जैसे महान नेताओं को इस जेल में डाला गया था। ब्रिटिश शासन के दौरान यरवदा जेल में रहने वाले इन महान नेताओं से जुड़ी कोठरियों को स्मारक और इनके महान बलिदान की स्मृतियों को सुरक्षित रखा गया है।

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इस जेल में सबसे अधिक समय रहे गांधीजी –

रामसे मैकडोनाल्ड द्वारा घोषित सांप्रदायिक फैसले के विरोध में महात्मा गांधी ने यहां आमरण अनशन शुरू किया था ।डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच पूना पैक्ट पर भी हस्ताक्षर गांधी वार्ड में एक आम के पेड़ के नीचे किए गए। उस पेड़ को जेल प्रशासन ने बड़ी कुशलता के साथ सुरक्षित बनाए रखा है। यही वह जेल है जहां महात्मा गांधी को सर्वाधिक समय बिताना पड़ा। उनसे जुड़ी हर चीज को यहां सुरक्षित रखा गया है।1899 में चापेकर बंधुओं को यहीं फांसी दी गई, जनरल वैद्य की हत्या के सिलसिले में कुख्यात जिंदा सूखा को भी फांसी दी गई।

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