जगन्नाथ मंदिर में निर्माण संबंधी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, कहा- ये समय की बर्बादी है

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ओडिशा सरकार द्वारा पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर (jagannath puri) में अवैध निर्माण और खुदाई का दावा करने वाली याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अवकाश पीठ ने तुच्छ याचिकाओं के साथ अदालत का समय बर्बाद करने के लिए जनहित याचिकाकर्ताओं की आलोचना की और यह भी बताया कि हाल के दिनों में जनहित याचिकाओं में तेजी से वृद्धि हुई है।

पीठ ने कहा, “हम इस तरह की जनहित याचिका दायर करने की प्रथा की निंदा करते हैं। यह न्यायिक समय की बर्बादी है और इसे शुरू में ही खत्म करने की जरूरत है, ताकि विकास कार्य न रुके।” पीठ ने कहा कि ऐसी कई याचिकाएं या तो प्रचार हित याचिका या व्यक्तिगत हित याचिका के तौर पर दायर की जाती हैं।

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ये थी याचिका:-

इससे पहले सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावानी ने पीठ के समक्ष कहा था कि मंदिर (jagannath puri) में निषिद्ध क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है और राज्य सरकार ने राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) से एनओसी प्राप्त की और निर्माण किया। उन्होंने दलील दी कि केवल पुरातत्व निदेशक (केंद्र या राज्य स्तर पर) एक वैध मंजूरी दे सकते हैं, न कि एनएमए।

ओडिशा के महाधिवक्ता ने दी यह दलील

ओडिशा के महाधिवक्ता अशोक कुमार पारिजा ने पीठ के समक्ष दलील दी कि एनएमए प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम के तहत प्राधिकरण है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के निदेशक, संस्कृति सक्षम प्राधिकारी हैं, जिन्होंने अनुमति दी थी और सरकार की योजना मंदिर में सुविधा और सौंदर्यीकरण प्रदान करने की है। पारिजा ने कहा कि मौजूदा ढांचे या भवन का नवीनीकरण या नालियों (ड्रैन्स) का रखरखाव, सफाई और इसी तरह की सुविधाएं और जनता के लिए पानी की आपूर्ति प्रदान करने के लिए किए गए कार्य निर्माण के दायरे में नहीं आते हैं। उन्होंने कहा, “60,000 लोग प्रतिदिन आ रहे हैं। यह कहा गया था कि शौचालयों की आवश्यकता है। एमिकस ने बताया कि अधिक शौचालयों की आवश्यकता है और अदालत ने उस संबंध में निर्देश जारी किए थे।”

एजी ने कहा कि राज्य सरकार तीर्थयात्रियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए गतिविधियां चला रही है, जिन्हें एनएमए से अनुमति है। एक अन्य वकील ने बताया कि वार्षिक रथ यात्रा के दौरान, लगभग 15-20 लाख लोग मंदिर में आते हैं, और अतीत में भगदड़ की घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है। मामले में विस्तृत दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि वह शुक्रवार को फैसला सुनाएगी। याचिकाकर्ता अर्धेंदु कुमार दास और अन्य ने मंदिर में राज्य सरकार द्वारा किए गए कथित अवैध उत्खनन और निर्माण कार्य का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार अनधिकृत निर्माण कार्य कर रही है, जो मंदिर (jagannath puri) की संरचना के लिए खतरा है।

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