ISRO SSLV-D3 Launch, नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को अंतरिक्ष में एक और ऐतिहासिक सफलता हासिल की। इसरो ने शुक्रवार सुबह 9:17 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से नया रॉकेट SSLV-D3 लॉन्च किया।
इसके साथ ही EOS-08 (ईओएस-08) मिशन के तहत नया अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट भी लॉन्च किया गया। इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने लॉन्च की सफलता की जानकारी दी और पूरी टीम को इसके लिए बधाई दी। हालांकि इससे पहले इसरो ने लॉन्च की तारीख 15 अगस्त तय की थी। फिर एक दिन बाद इसे लॉन्च किया गया।
ISRO SSLV-D3 Launch: प्राकृतिक आपदा की देगा जानकारी
बता दें कि EOS-08 सैटेलाइट पृथ्वी की निगरानी करेगा और पर्यावरण व प्राकृतिक आपदा के बारे में जानकारी देगा। इस सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा से करीब 475 किलोमीटर ऊपर स्थापित किया गया। यह एक साल तक काम करेगा। EOS-08 सैटेलाइट का उद्देश्य पर्यावरण और आपदा के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध कराना है। इसमें तीन अत्याधुनिक पेलोड हैं- इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड (EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R) और एसआईसी यूवी डोसीमीटर शामिल हैं।
ये भी पढ़ेंः- इजरायल पर हिजबुल्लाह ने दागे ताबड़तोड़ कई रॉकेट, मध्य पूर्व में तनावपूर्ण हुई स्थिति
ISRO SSLV-D3 Launch: इसरो प्रमुख ने कहा-
इसरो के मुताबिक अपने एक साल के मिशन लाइफ के साथ ईओएस-08 महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध कराएगा। सफल लॉन्च के बाद इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि हमारा लॉन्च सही है। सैटेलाइट सही जगह पर पहुंच गया है। अब हम कह सकते हैं कि SSLV रॉकेट की तीसरी प्रदर्शन उड़ान सफल रही है। अब हम इस रॉकेट की तकनीकी जानकारी उद्योग जगत के साथ साझा करेंगे ताकि ज़्यादा से ज़्यादा रॉकेट बनाए जा सकें। छोटे उपग्रहों का ज़्यादा से ज़्यादा प्रक्षेपण किया जा सके।
SSLV-D3/EOS-08 Mission:
✅The third developmental flight of SSLV is successful. The SSLV-D3 🚀placed EOS-08 🛰️ precisely into the orbit.
🔹This marks the successful completion of ISRO/DOS's SSLV Development Project.
🔸 With technology transfer, the Indian industry and…
— ISRO (@isro) August 16, 2024
SSLV-D3 रॉकेट की खूबियां
दरअसल SSLV का मतलब है स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल और D3 का मतलब है थर्ड डेमोस्ट्रेशन फ्लाइट। इस रॉकेट का इस्तेमाल मिनी, माइक्रो और नैनो सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए किया जाएगा।
इससे 500 किलो तक वजन वाले सैटेलाइट को 500 किलोमीटर से नीचे धरती की निचली कक्षा में भेजा जा सकेगा या फिर 300 किलो वजन वाले सैटेलाइट को सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेजा जा सकेगा। इस ऑर्बिट की ऊंचाई 500 किलोमीटर से ऊपर है। इस लॉन्च में यह 475 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाएगा। वहां जाकर यह सैटेलाइट को छोड़ेगा।
SSLV रॉकेट की लंबाई 34 मीटर है। इसका व्यास 2 मीटर है। SSLV का वजन 120 टन है। SSLV 10 से 500 किलो तक के पेलोड को 500 किलोमीटर तक पहुंचा सकता है। SSLV सिर्फ 72 घंटे में तैयार हो जाता है। यह पृथ्वी को प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी देगा। SSLV को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड वन से लॉन्च किया जाता है।