Chandrayaan-3: इतिहास रचने से बस चंद कदम दूर चंद्रयान-3, प्रोप्लशन मॉड्यूल से अलग हुआ लैंडर

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isro chandrayaan 3 mission

isro Chandrayaan-3: भारत के महत्वाकांक्षी मून मिशन के तहत चंद्रयान-3 चंद्रमा के और करीब आ गया है। अब चंद्रमा की सतह से चंद्रयान-3 की दूरी केवल 150 किलोमीटर रह गई है। इसके साथ ही मिशन की कामयाबी का अंतिम चरण शुरू हो चुका है। जिसपर देशभर के साथ-साथ दुनिया के कई बड़े देशों की नजरें हैं। फिलहाल चंद्रयान चांद के आखिरी ऑर्बिट में मौजूद है।

प्रोप्लशन मॉड्यूल से अगल हुआ लैंडर

इस बीच आज (गुरुवार) को प्रोप्लशन मॉड्यूल से लैंडर सफलतापूर्वक अलग हो गया है। इसके साथ ही अब लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। विक्रम लैंडर आज दोपहर में 1 बजकर 15 मिनट पर अलग हुआ था। इसरो ने कुछ देर पहले इसका औपचारिक ऐलान कर दिया। यानी कि अब चांद पर भारत के चंद्रयान-3 की लैंडिंग बस कुछ ही दिन दूर है। चंद्रयान-3 चांद से अब महज 157 किलोमीटर दूर है।

ISRO ने एक्स पर चंद्रयान-3 के सफर को लेकर ताजा जानकारी साझा की है-ISRO  के अनुसार`चंद्रयान-3 के चंद्रमा तक पहुंचने की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली हैं। ISRO ने कहा हमारी आशा के मुताबिक चंद्रमा की 153 किलोमीटर X 163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया। चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई। प्रोप्लशन मॉड्यूल से लैंडर अलग हो गया है। यह 23 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

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चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। इसके बाद इसने 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया और चांद के नजदीक आता गया। अगर 23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करता है तो ये भारत की बड़ी कामयाबी होगी।

23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर करेगा लैंडिग

भारत के तीसरे चंद्र मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारना है। चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर पर नियंत्रण खोने के कारण सॉफ्ट लैंडिंग की जगह क्रैश लैंडिंग हुई और लैंडर क्रैश हो गया। इसरो ने बताया कि लैंडर के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर सकता है।

100 KM की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा लैंडर

लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा। सॉफ्ट लैंडिंग एक पेचीदा मसला है. सुरक्षित और जोखिम-मुक्त क्षेत्र खोजने के लिए लैंडिंग से पहले साइट की इमेजिंग की जाएगी। लैंडिंग के बाद, छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्र सतह पर प्रयोग करेगा, जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को भारत के हेवी लिफ्ट रॉकेट LVM3 द्वारा पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया था। इसके बाद 1 अगस्त को यह पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर चला गया।

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