नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने देश के खिलाफ जंग छेड़ने, आपराधिक साजिश और अवैध धर्मांतरण के एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी एसटीएफ से पूछा कि क्या आरोपी की हिरासत जारी रखना जरूरी है। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान यूपी एटीएस की ओर से पेश एएसजी केएम नटराज ने अवैध धर्मांतरण के आरोपी इरफान शेख उर्फ इरफान खान की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जबरन धर्मांतरण में शामिल लोगों का समाज के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। नटराज ने कहा कि यह एक सिंडिकेट है जिसने 450 लोगों का धर्मांतरण कराया है। इसके लिए विदेशों से मिलने वाला फंड भी शामिल है।
सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने कहा कि ऐसा नहीं है कि धर्मांतरण पर रोक है। यूपी का धर्मांतरण कानून यहां लागू नहीं होता। उन्होंने कहा कि वह अपनी मर्जी से इस्लाम की तरफ झुके हुए हैं। वह केवल एक दुभाषिया था। आरोपी पर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप क्यों लगाया गया है? जांच एजेंसी आरोपी का बैंक खाता किसी और का बता रही है।
यूपी एसटीएफ को अब आरोपी की कस्टडी की जरूरत नहीं है। तब नटराज ने कहा कि मामले की जांच शुरू हो गई है। जल्द ही जांच पूरी कर ली जाएगी। सरकारी कर्मचारी के तौर पर अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए इरफान ने लोगों को लुभाने के लिए सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल किया। कोर्ट ने तब नटराज से पूछा कि इरफान के खिलाफ भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का मामला कैसे बना दिया गया। इसके बाद नटराज ने मामले में दाखिल पूरक आरोप पत्र दिखाया और कहा कि मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। कोर्ट ने फिर पूछा कि क्या वाकई आपको उसकी कस्टडी की जरूरत है। तब नटराज ने कहा कि वह इसके बारे में जानकारी लेने के बाद बताएंगे। उन्होंने कहा कि वह दो हफ्ते में जवाब दाखिल करेंगे।
इरफान शेख पर अनुवादक के रूप में काम करते हुए अपने पद का दुरुपयोग करने और धर्मांतरण विरोधी और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। उस पर सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र में मूक-बधिर छात्रों को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने का आरोप है। गिरफ्तारी के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा उनकी जमानत अर्जी खारिज किए जाने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
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