आईईडी लगाने के लिए नक्सलियों ने बनाई थी सुरंग, जांच में मिले तीन डेटोनेटर के कनेक्शन

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दंतेवाड़ा: अरनपुर को 26 अप्रैल को हुए आईईडी विस्फोट को कामयाब बनाने के लिए नक्सलियों ने सड़क पर बारूदी सुरंग के साथ नकुलनार से अरनपुर जाने वाले मार्ग पर विस्फोटक के साथ तीन डेटोनेटर लगा रखे थे। आईईडी को विस्फोट करने के लिए डेटोनेटर में स्पार्क होना जरूरी होता है, अगर डेटोनेटर में स्पार्क नहीं होगा तो आईईडी में विस्फोट नहीं होगा। इसलिए नक्सली हमेशा आईईडी बारूद में एक से अधिक डेटोनेटर का इस्तेमाल करते हैं।

घटनास्थल से करीब 100 मीटर पर नक्सली बैटरी लेकर बैठे थे, जैसे ही जवानों का वाहन वहां पहुंचा बारूदी विस्फोट से वाहन के परखच्चे उड़ गये। इस घटना में डीआरजी के दस जवान और एक वाहन चालक की मौत हो गयी। बस्तर आईजी सुदरराज पी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि फोरेंसिक टीम की जांच एवं पुलिस की जांच में आईईडी के विस्फोट के लिए एक साथ तीन डेटोनेटर का उपयोग किया गया था।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, घटनास्थल की जांच के दौरान नक्सलियों द्वारा विस्फोटक के साथ डेटोनेटर के तीन कनेक्शन मिले हैं, जिसे जोड़ते हुए सड़क के किनारे से जंगल तक नक्सली तार ले गए थे। आईईडी प्लांट करने के लिये नक्सलियों ने सड़क को कहीं भी नहीं काटा बल्कि सड़क किनारे से सुरंग बनाकर आईईडी प्लांट किया था। नक्सलियों ने करीब चार फीट व्यास वाली सुरंग का निर्माण सड़क की गहराई में IED लगाने के लिये किया था। सुरंग बनाने में नक्सलियों को तीन से चार दिन का वक्त लगने का अनुमान है।

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उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में इन दिनों नक्सली गतिविधियां बढ़ी हैं। इससे पहले पालनार-किरंदुल सड़क पर एंटी लैंड माइंस व्हीकल को नक्सलियों ने बारूदी विस्फोट कर निशाना बनाया था। इसके बाद कटेकल्याण के गाटम में लैंड माइंस व्हीकल को नक्सलियों ने विस्फोट से उड़ा दिया था। मैलेवाडा और श्यामगिरी में भी आइईडी से नक्सलियों ने विस्फोट की घटना को अंजाम दिया था। पक्की सड़क के गहराई में लगाये गये बारूदी सुरंग को मेटल डिटेक्टर से भी पकड़ने में सफलता नहीं मिलती है।

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