जयपुरः राजस्थान के अभयारण्यों में बाघों को अनुकूल माहौल मिलने के कारण बीते 16 साल में काफी तेजी से बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। ऑल इंडिया टाइगर ऐस्टीमेशन- 2018 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006 में राजस्थान के अभयारण्यों में बाघों की संख्या 32 थी. जबकि वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या वर्तमान में 111 से अधिक पहुंच गई है। बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ने के कारण वन्य प्रेमियों में भी खुशी है।
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राजस्थान में 2006 में 32 बाघ थे, जो 2010 में 36, वर्ष 2014 में 45, एआईटीई-2018 के अनुसार वर्ष 2018 में 69 तथा वन विभाग के अनुसार 2022 में करीब 111 से अधिक हो चुके हैं। अभी प्रदेश के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 79, सरिस्का में 27, मुकुन्दरा में 1, रामगढ़ विषधारी में 2 तथा धौलपुर वन क्षेत्र एवं कैलादेवी वन क्षेत्र में 4-4 बाघों की मौजूदगी है। सवाई माधोपुर का रणथंभौर टाइगर रिजर्व (आरटीआर) में बाघों की दहाड़ लगातार बढ़ रही है। बीते 49 साल के इतिहास में वर्तमान में रणथंभौर टाइगर रिजर्व में सर्वाधिक 79 बाघों का कुनबा रह रहा है। विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2019 से 2021 के दौरान यहां 44 शावकों का जन्म हुआ जो आरटीआर के लिए एक बड़ी सौगात है। पूरी दुनिया के 70 प्रतिशत से अधिक बाघ भारत में हैं। देश में 2014 में बाघों की आबादी करीब 1411 थी, यह चार साल बाद अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 के अनुसार बढ़कर 2967 हो गई है। इनमें मध्य प्रदेश में बाघों की सबसे ज्यादा आबादी है। दूसरे नंबर पर कर्नाटक और तीसरे पर उत्तराखंड राज्य है।
सेवानिवृत्त डीएफओ सुनयन शर्मा का कहना है कि रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ रही है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व में तो क्षेत्रफल की दृष्टि से टाइगर्स की संख्या का अनुपात असामान्य भी होने लगा है। यही वजह है कि अब बाघों के लिए बूंदी का रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व नया घर बनकर उभरेगा। बीते दिनों (16 जुलाई 2022) रणथंभौर से टी-102 बाघ को विषधारी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट भी किया गया। शर्मा बताते हैं कि राजस्थान के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी अच्छी बात है लेकिन फिलहाल पूरे प्रदेश के ईको सिस्टम को सुधारने की जरूरत है। यह तभी संभव है जब वन विभाग में स्टाफ की बढ़ोतरी की जाएगी। क्योंकि फिलहाल विभाग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। फील्ड स्टाफ की शॉर्टेज की वजह से ही राजस्थान के अभयारण्य में सुरक्षा पर भी कोई ज्यादा काम नहीं हो पाया है।
सवाई माधोपुर जिले के 1334 वर्ग किलोमीटर में फैला रणथंभौर टाइगर रिजर्व देश का सबसे अधिक बाघों के घनत्व वाला अभयारण्य है। यहां वर्तमान में नर एवं मादा बाघ का अनुपात भी करीब 1:1.3 है। वर्ष 2006 से 2014 तक भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की ओर से किए गए एक शोध में बताया गया था कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व के रणथंभौर नेशनल पार्क एवं सवाई मानसिंह अभ्यारण्य क्षेत्र में टाइगर घनत्व केयरिंग कैपेसिटी के बराबर हो चुका है। शोध के समय रणथंभौर टाइगर रिजर्व प्रथम क्षेत्र में वयस्क बाघों की संख्या 43 थी, जो कि अब बढ़ चुकी हैं। अनुकूल माहौल और आसानी से भरपूर भोजन उपलब्ध होने की वजह से वर्तमान में रणथंभौर में कुल बाघों की संख्या 79 पहुंच गई है। वयस्क बाघों की संख्या अच्छी होने की वजह से यहां प्रजनन अच्छा हुआ और जिससे इनका कुनबा भी बढ़ा है। क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो रणथंभौर टाइगर रिजर्व अब बाघों के लिए छोटा पड़ने लगा है। यही वजह है कि यहां आए दिन बाघों के आपसी संघर्ष की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
अलवर का सरिस्का अभ्यारण्य भी देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखता है। साल भर पर्यटक घूमने व सफारी का आनंद लेने के लिए सरिस्का आते हैं। सरिस्का का जंगल अन्य जंगलों की तुलना में घना है। कुल 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ सरिस्का साल 2005 में बाघ विहीन हो गया था। पहली बार देश में एयरलिफ्ट करके रणथंभौर से नए बाघ सरिस्का लाए गए, बाघों का कुनबा बसाया गया, लेकिन अब ज्यादातर बाघ उम्रदराज हो चुके हैं। ऐसे में सरिस्का को युवा बाघों की आवश्यकता है। युवा बाघ आएंगे तो सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ेगा।
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