Monday, December 23, 2024
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Homeउत्तर प्रदेशठगी के अन्तरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा, एक नाइजीरियन पकड़ा गया

ठगी के अन्तरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा, एक नाइजीरियन पकड़ा गया

लखनऊ: सोशल मीडिया पर विदेशी नागरिकों की फर्जी प्रोफाइल बनाकर भारतीय नागरिकों को महंगा उपहार, ज्वैलरी व विदेशी मुद्रा भेजने का झांसा देकर करोड़ों रूपये की ठगी करने वाला नाइजीरियन युवक दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया। बुधवार, 14 सितम्बर को यूपी एसटीएफ को सोशल मीडिया के द्वारा ठगी को अंजाम देने वाला रिजर्व बैंक आफ इंण्डिया का फर्जी पत्र जारी कर, करोड़ों रूपयों की ठगी करने वाले नाइजीरियन युवक को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया। पश्चिम दिल्ली निवासी जैरोम बल्ला नामक युवक को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार अभियुक्त के पास से एक पासपोर्ट की छायाप्रति, छह मोबाइल फोन, एक वोटर आईडी कार्ड, नाइजीरियन, एक मास्टर कार्ड, फस्र्ट बैंक, तीन सिम कार्ड बरामद किया गया।

ठगी का अंतरराष्ट्रीय गिरोह –

यूपी एसटीएफ को विगत काफी समय से सोशल मीडिया पर विदेशी नागरिकों की फर्जी प्रोफाइल बनाकर भारतीय लोगों को गिफ्ट भेजने का झांसा देकर, फिर गिफ्ट आने पर फर्जी कस्टम अधिकारी बनकर, अधिक कैश या कीमती गिफ्ट होने की बात कहकर, कस्टम ड्यिूटी पे करने व इनकम टैक्स पे करने व मनीलांड्रिग के नाम पर राष्ट्रीय स्तर पर ठगी करने वाले नाइजीरियन गिरोह के सक्रिय होने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं।

मामले के खुलासे के लिए एसटीएफ मुख्यालय की साइबर टीम को सूचना संकलन एवं कार्रवाई के लिए सतर्क किया गया। इसी क्रम मे मुख्यालय स्थित टीम प्रभारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह के पर्यवेक्षण में और ज्यादा जानकारी एकत्र करने के लिए सूचना तन्त्र को सक्रिय किया गया।

2017 में भारत घूमने आया था आरोपी –

गिरफ्तार अभियुक्त ने आंग्ल भाषा मे बताया कि मैं नाईजीरिया के गिनी का रहने वाला हंू। वर्ष 2017 में भारत घूमने के लिए आया था। इसके पश्चात वर्ष 2018 में नागालैण्ड की रहने वाली जोकोबेनी सोपोए मकान नं0 213 नहर बाडी दीमापुर, नागालैण्ड 797115 से विवाह कर लिया। तब से यह भारत में ही रह रहा है। वर्तमान समय में पश्चिम दिल्ली में किराये के फ्लैट में रहता है। बकौल आरोपी विदेशी लोगों के फर्जी फोटो लगा कर फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम भारतीय नागरिकों से (पुरूष से स्त्री व स्त्री से पुरूष बनकर) दोस्ती करता था। इसके पश्चात कुछ दिनों तक चैटिंग करता था। फिर वाइस चेन्जर साफ्टवेयर के माध्यम से प्रेम वार्ता करता था। इस दौरान वह खुद को अमेरिका, इग्लैण्ड, जर्मनी जैसे विकसित देशों का सुन्दर महिला/पुरूष बताकर, सोशल मीडिया पर उनकी डीपी लगाकर अपने जाल में फंसाता था। जब वह लोग पूरी तरह से ठग के जाल में फंस जाते हैं तो उन्हें शादी करने व तरह-तरह के महंगे उपहार भेजने की बात करता था। इसके पश्चात उन लोगों को उपहार भेजे जाने की बात वह खुद बताता था।

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इसके पश्चात वह खुद ही कस्टम अधिकारी बनकर उनको बताता था कि उनका कीमती उपहार कस्टम डिपार्टमेण्ट में आया है, जिसकी कीमत करोड़ों में है। कस्टम फीस जमा करने के उपरान्त उनके पते पर पहुंच जायेगा। जिसके लिए 3-4 बार में थोड़ा-थोड़ा करके अलग अलग बैंक खातों में रूपये जमा करा लेता था। इसके पश्चात उन लोगों पर रूपये एंेठने के लिए एक और जाल फेंका जाता था कि उपहार की कीमत बहुत अधिक है, जिसके लिए आप को इनकम टैक्स जमा करना पडे़गा। फिर धीरे-धीरे इनकम टैक्स जमा होने के पश्चात मनीलांडिंªग के नाम पर उन लोगों को डराकर, भारतीय रिजर्व बैंक के नाम का फर्जी पत्र जारी कर, अलग-अलग तरीकों से विभिन्न बैक खातांे मंे रुपये जमा कराकर ठगी करता था। आईपीसी की धारा 419/420/467/468/471 भादवि व 66/66 डी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम थाना साइबर क्राइम जनपद लखनऊ मंे दाखिल किया गया। अग्रिम विधिक कार्यवाही थाना साइबर क्राइम, जनपद लखनऊ पुलिस द्वारा की जा रही है।

राजधानी लखनऊ में दर्ज है एक मुकदमा –

एचएएल के पूर्व कर्मचारी उम्र लगभग 70 वर्ष द्वारा 15 दिसम्बर 2021 को राजधानी स्थित थाना साइबर क्राइम पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का अभियोग पंजीकृत कराया गया कि फेसबुक पर बर्लिन, जर्मनी की एनालिशा थामसन नाम की महिला द्वारा फ्रेन्डरिक्वेस्ट भेजकर उनसे दोस्ती की गयी। कुछ दिन तक व्हाट्सएप व फेसबुक मैसेन्जर पर चैटकर अपना 46वां जन्मदिवस बताकर कुछ उपहार भेजने की बात कहकर उनका पता मांगा गया और बताया गया कि कुछ दिन बाद आपका पार्सल आयेगा। इसके बाद एयरपोर्ट के कस्टम विभाग से फोन आया कि आपका पार्सल आया है, जिसकी कस्टम डियूटी पे कर ले सकते हैं। जिसके लिए तीन बार में वादी उपरोक्त से लगभग 4 लाख रूपये जमा कराये गये इसके बाद फोन कर बताया गया कि आपके पैकेट में 60 हजार ग्रेट-ब्रिटेन पाउण्ड नगद है, जिसके लिए लगभग 7 लाख रूपये इनकम टैक्स के नाम पर जमा कराया गया। इसके पश्चात ई-मेल के माध्यम से रिजर्व बैंक आफ इंडिण्या का कूटरचित पत्र भेज कर 8 लाख 28 हजार रूपये जमा करने के लिए बोला गया तो वादी द्वारा रिजर्व बैंक आफ इण्डिया में जाकर पता किया गया तो पता चला कि उनके साथ ठगी हो रही है। यह पत्र रिजर्व बैंक आफ इंण्डिया से जारी नहीं किया गया है।

  • पवन सिंह चौहान की रिपोर्ट

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