बिजली कटौती से कराह रहीं झारखंड की औद्योगिक इकाइयां, उत्पादन 25 से 30 फीसदी गिरा

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रांचीः झारखंड की औद्योगिक इकाइयां पिछले एक महीने से जारी बिजली (Electricity) संकट से बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। रांची, जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो जैसे औद्योगिक शहरों में हर रोज छह से दस घंटे तक की बिजली कटौती हो रही है। झारखंड स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (जेसिया) ने कहा है कि अगर आगे दो-तीन महीने तक यही हाल रहा तो बड़ी तादाद में औद्योगिक इकाइयां बंद हो जाएंगी। झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी राज्य सरकार से संकट का हल निकालने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है। झारखंड में पचास हजार से ज्यादा एमएसएमई यूनिट हैं। औद्योगिक संगठनों की मानें तो बिजली की कमी की वजह से हर औद्योगिक इकाई के 25 से 30 फीसदी तक उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही है। समय पर प्रोडक्शन नहीं करने की वजह से इकाइयों को मिलने वाले ऑर्डर में भी कमी आ रही है।

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जेसिया के चेयरमैन अंजय पचेरीवाला ने कहा है कि राज्य में बिजली (Electricity) सप्लाई के लिए जिम्मेदार झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने बीते 22 साल में 50 हजार करोड़ रुपए का घाटा दिखाया है। आखिर ऐसी संस्था को बनाए रखने का क्या औचित्य है? एक तरफ बिजली की कमी से उद्योग-कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं तो दूसरी तरफ बिजली वितरण निगम जैसी भयंकर घाटे वाली संस्था को सरकार ढोए चल रही है।

स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव रंधीर शर्मा कहते हैं कि रांची के तुपुदाना, नामकुम, इरबा, कोकर, नगड़ी में 2000 के आस-पास छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन जारी रखना मुश्किल हो गया है। जेनरेटर के लगातार इस्तेमाल से उत्पादन की लागत बढ़ गई है। बिजली की कमी के कारण लोग ऑर्डर पूरा नहीं कर पा रहे। नतीजा यह कि खरीदार लोग अब झारखंड के बजाय दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं। आयरन स्पंज, आयरन ओर, स्टील फर्नेंस, टेक्सटाइल समेत अन्य उद्योग पूरी तरह से बिजली पर निर्भर हैं, लेकिन पिछले दो महीने से जारी संकट से अब नुकसान उठाना पड़ा रहा है।

इसी तरह जमशेदपुर में आदित्यपुर स्मॉल एंड मीडियम स्केल इंडस्ट्रीज की 1400 से अधिक यूनिटें हैं। इनमें से 500 यूनिटें बिजली के लिए पूरी तरह जेबीवीएनएल पर निर्भर हैं। हर रोज 150 मेगावाट बिजली की डिमांड है, लेकिन मात्र 60 मेगावाट बिजली की सप्लाई हो रही है। ये कंपनियां टाटा मोटर्स को पार्ट-पुरजों की सप्लाई करती हैं, लेकिन समय पर ऑर्डर पूरा नहीं कर पा रही हैं। आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष खेतान के मुताबिक हर रोज आठ-नौ घंटे बिजली कटौती से हर कंपनी में सैकड़ों मजदूर घंटों बेकार बैठ रहे हैं। ऐसे में न सिर्फ कंपनियों का उत्पादन बल्कि कामगारों का रोजगार भी प्रभावित हो रहा है। उद्यमी योगेश मल्होत्रा का कहना है कि बिजली कटौती से उत्पादन में 25 से 30 फीसदी तक की कमी हुई है।

बता दें कि राज्य में फिलहाल पांच सौ मेगावाट तक बिजली की कमी है। राज्य में कुल 23-24 सौ मेगावाट बिजली की डिमांड होती है, जबकि इसके विपरीत 17 से 18 सौ मेगावाट की ही सप्लाई हो रही है। झारखंड बिजली वितरण निगम ने सेंट्रल पूल से ली गई बिजली के 200 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया है। इस वजह से सेंट्रल पूल से अतिरिक्त बिजली लेने पर रोक लग गई है। केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि जब तक राज्य सरकार बकाया भुगतान नहीं करती है, तब तक सामान्य डिमांड के अनुसार बिजली नहीं मिलेगी। जेबीवीएनएल पर डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) के भी ढाई हजार करोड़ से अधिक बकाया है। इस वजह से डीवीसी ने अपने कमांड वाले झारखंड के सात जिलों में दस फीसदी बिजली कटौती लागू कर रखी है।

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