परस्पर सहयोग, सौहार्द व मानव कल्याण के कार्यों में साझेदारी भारतीय विदेश नीति का आधार रहा है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों व मंचों पर भारत इन्हीं तथ्यों पर बल देता है। जी-7 देशों की बैठक में भी उसका यही सन्देश रहा। इसबार की बैठक अभूतपूर्व संकट के दौरान हुई। दुनिया में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप है। ऐसे में सभी जरूरतमंदों तक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत ने यह मुद्दा जी-7 की बैठक में उठाया। इसपर साझेदारी बढ़ाने पर सहमति बनी। इसी के साथ अर्थव्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी भी है। जी-7 के देश इसके लिए भी सहयोग करने को तैयार हुए हैं।
इसके अलावा भारतीय विदेश मंत्री ने यहां उपस्थित देशों के साथ द्विपक्षीय संबन्ध मजबूत करने के लिए संवाद किया। इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली जापान, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं। ब्रिटेन के विशेष निमंत्रण पर भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका और आसियान देशों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हुए। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ कोविड से मुकाबले हेतु सहयोग बढ़ाने पर विचार विमर्श किया। उधर जी-7 सम्मेलन में ब्रिटश प्रधानमंत्री ने भारत को आमंत्रित किया, इधर ब्रिटेन और भारत के बीच एक अरब पाउंड की वाणिज्य और निवेश संधि की घोषणा की गई। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच होने वाली वर्चुअल बैठक से पहले ये घोषणा की गई।
बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा प्रस्तावित थी। लेकिन भारत में कोरोना के कारण यात्रा स्थगित कर दी गई थी। इसके बाद वर्चुअल वार्ता के माध्यम से संबंधों को मजबूत करने का निर्णय किया गया। समझौते के अनुसार भारत ब्रिटेन में सवा पांच सौ मिलियन पाउंड से अधिक का निवेश करेगा। इससे स्वास्थ्य और तकनीक जैसे क्षेत्रों में करीब छह हजार नए रोजगार का सृजन होगा। बोरिस जॉनसन ने कहा कि रोजगार के यह अवसर कोरोना की मार झेल रहे परिवारों और समुदायों की जिंदगी दोबारा शुरू करने व भारत और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्थाओं को सहारा देने का काम करेंगे।
सीरम इंस्टीट्यूट की तरफ से ब्रिटेन में वैक्सीन उत्पादन के लिए चौबीस करोड़ पाउंड का निवेश किया जाएगा। सीरम इंस्टीट्यूट ने इस दिशा में पहले ही कदम बढ़ा दिए हैं। कोडाजेनिक्स इंक के साथ मिलकर कंपनी ने कोरोना वायरस के लिए नाक के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन के शुरुआती परीक्षण भी शुरू कर दिये हैं। इसके अलावा मेडिकल सामान के लिए गैर टैरिफ औपचारिकताओं को कम किया जाएगा।
ब्रिटेन और भारत के बीच निजी कंपनियों के निवेश का ये समझौता, मुक्त व्यापार संधि की दिशा में एक कदम है। ब्रिटेन और भारत के बीच तकरीबन तेईस अरब पाउंड का सालाना व्यापार होता है। मुक्त व्यापार के माध्यम से अगले नौ वर्षो में दोगुना किया जा सकता है। नया समझौता और आगे होने वाली मुक्त व्यापार संधि के जरिए दोनों देशों के वाणिज्यिक संबंध नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच वर्चुअल शिखर सम्मेलन उपयोगी रहा।
शिखर सम्मेलन में महत्वाकांक्षी रोडमैप बीस तीस को अपनाया गया। इसके माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों का दर्जा बढ़ाकर उन्हें व्यापक रणनीतिक साझेदारी का रूप दिया जाएगा। यह रोडमैप अगले दस वर्षों में दोनों देशों के लोगों के बीच पारस्परिक संपर्कों, व्यापार एवं अर्थव्यवस्था,रक्षा व सुरक्षा,जलवायु कार्रवाई और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गहन व मजबूत जुड़ाव का मार्ग प्रशस्त करेगा। दोनों देश कोरोना के मुकाबले हेतु सहयोगपूर्ण प्रयास करेंगे। जॉनसन ने पिछले साल ब्रिटेन और अन्य देशों को दी गई सहायता में भारत की अहम भूमिका की सराहना की जिसमें फार्मास्यूटिकल्स और टीकों की आपूर्ति के जरिए दी गई सहायता भी शामिल है। ब्रिटेन अनुसंधान और नवाचार संबंधी सहयोग के क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे बड़ा साझेदार है।
वर्चुअल शिखर सम्मेलन में एक नई भारत-ब्रिटेन ‘वैश्विक नवाचार साझेदारी’ की घोषणा की गई जिसका उद्देश्य चुनिंदा विकासशील देशों को समावेशी भारतीय नवाचारों का हस्तांतरण करने में आवश्यक सहयोग प्रदान करना है। इस दिशा में शुरुआत अफ्रीका से होगी। दोनों ही पक्षों ने डिजिटल एवं आईसीटी उत्पादों सहित नई व उभरती प्रौद्योगिकियों पर आपसी सहयोग बढ़ाने और आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने की दिशा में काम करने पर सहमति जताई। दोनों ही पक्षों ने रक्षा और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने पर भी सहमति व्यक्त की जिनमें समुद्री क्षेत्र, आतंकवाद का मुकाबला करना और साइबरस्पेस क्षेत्र भी शामिल हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इसके साथ ही आपसी हितों वाले क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी अपने-अपने विचारों का आदान प्रदान किया, जिसमें हिंद प्रशांत और जी सेवन में सहयोग करना भी शामिल है।
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भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ब्रिटेन यात्रा भी कई सन्दर्भों में सार्थक रही। इसमें जी-7 सम्मेलन में सहभागिता के साथ अनेक देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी। कोरोना महामारी सहित अन्य मसलों पर विचार हेतु जी-7 ने विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाई थी। इस दौरान जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की। कोरोना महामारी समेत कई गंभीर मसलों पर चर्चा हुई। दोनों में कोरोना महामारी और वैक्सीन उत्पादन को लेकर चर्चा हुई। इसके अलावा आपूर्ति श्रृंखलाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अलावा बैठक में प्रशांत महासागर,संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, म्यांमार हिंसा और जयवायु परिवर्तन के मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री