Home उत्तर प्रदेश इतिहास बना टोकन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलाकिंग का काम पूरा

इतिहास बना टोकन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलाकिंग का काम पूरा

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लखनऊः ट्रेनों के सुरक्षित संचालन में अहम भूमिका अदा करने वाला टोकन सिस्टम (Token System) इतिहास बन गया। 171 वर्षों से अनवरत इस्तेमाल होने वाला टोकन सिस्टम उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में खत्म हो गया। बीघापुर रेलवे स्टेशन पर इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग का काम पूरा होते ही यह सिस्टम इतिहास में दर्ज हो गया।

अंग्रेजी शासनकाल में वर्ष 1853 में देश में पहली ट्रेन चलने के बाद से ही ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए टोकन एक्सचेंज सिस्टम का उपयोग किया जाता था। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में 198 रेलवे स्टेशन हैं। इनमें से सभी स्टेशनों पर यह समाप्त हो गया था, लेकिन बीघापुर स्टेशन पर अभी भी टोकन सिस्टम का इस्तेमाल हो रहा था। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक रेखा शर्मा ने बताया कि स्टेशनों पर नवीन तकनीक वाली इलेक्ट्रॉनिक इंटरलाकिंग की जा रही है। ट्रेनों के सुरक्षित संचालन में इससे मदद मिलती है। बीघापुर रेलवे स्टेशन पर 30 रूटों के इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग का काम पूरा कर लिया गया है।

इसलिए इस्तेमाल होता है टोकन

उल्लेखनीय है कि टोकन एक प्रकार का लोहे का छल्ला होता है, जिसके बीच में लोहे का एक गोला रखा जाता है। इस टोकन को स्टेशन मास्टर, लोको पायलट को देता है। लोको पायलट को टोकन मिलने (Token System) का मतलब अगले स्टेशन तक लाइन क्लियर व ट्रेन आगे ले जाने का संकेत है। अगले स्टेशन पर पहुंचने के बाद लोको पायलट को पहले वाला टोकन जमा करना होता है और वहां से दूसरा टोकन लेना होता है। पहले ट्रैक सर्किट नहीं होते थे। ट्रेनें आपस में न टकराएं, इसके चलते ही ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए टोकन एक्सचेंज सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता था। पहले रेलवे में छोटी व सिंगल लाइन हुआ करती थी। इस वजह से दोनों ओर की ट्रेनें एक ही लाइन पर चलाई जाती थी।

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रेलवे अधिकारियों ने बताया कि टोकन में लगे लोहे की बाल को टेबलेट कहा जाता है। जिसे स्टेशन पर लगी नेल मशीन में डाला जाता है। सभी स्टेशन पर नेल मशीन लगाई जाती है और यह एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक जुड़ी रहती है। जैसे ही स्टेशन मास्टर लोकोपायलट से ली गई बाल को नेल मशीन में डालता है, वैसे ही अगले स्टेशन के लिए रूट को क्लियर घोषित कर दिया जाता है। साथ ही किसी वजह से ट्रेन बीच रास्ते रुक गई है और टोकन अगले स्टेशन तक नहीं पहुंच पाता है तो पिछले स्टेशन की नेल मशीन अनलाॅक नहीं होगी। इस स्थिति में ट्रेन को आगे बढाने की अनुमति नहीं मिलती।

चारबाग की पार्किंग सेवा रेलवे ने की फ्री

चारबाग रेलवे स्टेशन के सभी पार्किंग स्टैंडों का ठेका समाप्त हो गया है। ऐसे में रेलवे ने वाहनों की पार्किंग फ्री कर दी है। रेलवे ने इसका नोटिस भी चस्पा कर दिया है कि अब अपने जोखिम पर वाहन खड़ा करें। रेलवे ने दो फरवरी 2023 को इंटीग्रेटेड पार्किंग सिस्टम लागू किया था। इस सिस्टम में यात्री एयरपोर्ट की तरह किसी भी खाली पार्किंग स्टैंड पर वाहन खड़ा कर सकते थे। हालांकि दो माह बाद ही किसी वजह से इस सिस्टम को बंद करना पड़ा। इसके बाद कोटेशन पर लखनऊ रेलवे स्टेशन के सामने स्थित प्रीमियम, गांधी उद्यान के बगल वाली मुख्य पार्किंग, रेल आरक्षण केंद्र की पार्किंग के साथ आरक्षण केंद्र भवन के नीचे की पार्किंग की व्यवस्था शुरू की गई थी।

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