मुंबई-अहमदाबाद परियोजना से जुड़े NHSRCL के एमडी को रेलवे ने हटाया

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नई दिल्ली : भारतीय रेलवे ने नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉपोर्रेशन लिमिटेड यानी एनएचएसआरसीएल के प्रबंधक निदेशक सतीश अग्निहोत्री को तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त कर दिया है। अग्निहोत्री मुंबई से अहमदाबाद के बीच बनाई जा रही महत्वपूर्ण बुलेट ट्रेन परियोजना का काम देख रहे थे। सतीश अग्निहोत्री के खिलाफ एनएचएसआरसीएल ज्वाइन करने से पहले पूर्व में पद का दुरूपयोग व निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने जैसे आरोप हैं।

इस विषय पर सात जुलाई को जारी किए गए रेलवे बोर्ड के पत्र में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकार द्वारा सतीश अग्निहोत्री की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त करने को मंजूरी दी गई है। केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉपोर्रेशन लिमिटेड का प्रभार अब अग्निहोत्री के स्थान पर एनएचएसआरसीएल के ही निदेशक राजेंद्र प्रसाद को सौंपा गया है। फिलहाल राजेंद्र प्रसाद को यह जिम्मेदारी केवल आगामी तीन महीनों के लिए सौंपी गई है।

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अग्निहोत्री को तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त करने का निर्णय लोकपाल अदालत के एक आदेश के बाद सामने आया है। दरअसल लोकपाल अदालत ने सीबीआई को अग्निहोत्री के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। लोकपाल अदालत ने कहा है कि सीबीआई अग्निहोत्री द्वारा एक निजी कंपनी के को फायदा पहुंचाने के लिए किये गये कथित कृत्यों व आरोपों की जांच करेगी। सतीश अग्निहोत्री पर आरोप है कि उन्होंने नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉपोर्रेशन (बुलेट ट्रेन) ज्वाइन करने से पहले रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के सीएमडी रहते हुए कथित तौर पर निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने का काम किया है।

मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सतीश अग्निहोत्री की सेवाओं को समाप्त करने का निर्णय 2 जून के लोकपाल अदालत के आदेश के बाद आया है। लोकपाल अदालत के इस निर्णय में सीबीआई को एनएचएसआरसीएल के पूर्व एमडी द्वारा आरवीएनएल उनके नौ साल के कार्यकाल के दौरान एक निजी कंपनी के साथ कथित तौर पर ‘क्विड प्रो क्वो’ सौदे के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया गया है। रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के सीएमडी के रूप में अग्निहोत्री पर गड़बड़ियों करने का आरोप लगा है। लोकपाल अदालत ने सीबीआई को यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि क्या अग्निहोत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत कोई अपराध बनता है। साथ ही लोकपाल अदालत द्वारा छह महीने के भीतर या 12 दिसंबर, 2022 से पहले लोकपाल कार्यालय को जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

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