जयपुरः भारतीय रेलवे रेल की पटरियों के किनारे और रेल परिसरों में पड़े कबाड़ को बेचकर रेलवे इस समय पैसा कमा रहा है। रेलवे द्वारा रेल परिसरों में अनुपयोगी तथा व्यर्थ पडे कबाड (स्क्रैप) के निस्तारण करने के लिये अनेक कार्य किये जा रहे है, जिससे इनके हटने से सुरक्षा में वृद्धि होने के साथ-साथ परिसरों में स्वच्छता को भी सुनिश्चित किया जा सकें। उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक विजय शर्मा के दिशा-निर्देशों तथा प्रयासों से रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में अनुपयोगी तथा व्यर्थ पड़े कबाड (स्क्रैप) को बेचकर 205.34 करोड़ रुपये की आय का अर्जन किया है। उत्तर पश्चिम रेलवे ने गत वर्ष भी जनवरी माह तक स्क्रैप निस्तारण से 202 करोड रुपये की रिकार्ड आय अर्जित की थी।
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उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार भण्डार विभाग द्वारा फील्ड यूनिट्स से पुराने कबाड़ को हटाने तथा बेचने के लिए अभियान के तहत कार्य किया जा रहा है। भण्डार विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष में जनवरी माह तक उत्तर पश्चिम रेलवे पर 205.34 करोड़ रुपये के कबाड का निस्तारण कर राजस्व प्राप्त किया जाकि गत वर्ष की इसी अवधि के 202 करोड़ की तुलना में अधिक है। उत्तर पश्चिम रेलवे को इस वर्ष कबाड निस्तारण से 230 करोड़ रूपये की आय अर्जित करने का लक्ष्य प्रदान किया गया है।
बता दें कि पिछले साल उत्तर रेलवे ने कबाड़ बेचकर 227.71 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया है। रेलवे ने रेल पटरी के टुकडों, स्लीपरों, टाइबार जैसे कबाड़ यानी स्क्रैप के कारण सुरक्षा संबंधी जोखिम की संभावना रहती है। वहीं, पानी की टंकियों, केबिनों, क्वार्टरों के दुरुपयोग की संभावना भी रहती है। इसलिए बेकार पड़े कबाड़ को बेचकर रेलवे पैसा कमाता है। रेलवे बोर्ड ने उत्तर रेलवे को 370 करोड़ रुपये अर्जित करने का लक्ष्य दिया था।
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